आरंग एतिहासिक दृष्टी से अत्यंत महत्वपूर्ण नगरी – डा रमेन्दनाथ मिश्र उपरोक्त विचार बद्रीप्रसाद लोधी स्नातकोत्तर शासकीय महाविद्यालय, आरंग में छत्तीसगढ राज्य के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित विशेष शैक्षिक व्याख्यान का आयोजन में डा रमेन्द्रनाथ मिश्र ने रखे। दिनांक 12 सितम्बर को आयोजित व्याख्यान आरंग नगर के पुरातत्व और ऐतिहासिक धरोहरों पर केंद्रित था।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं सुप्रसिद्ध इतिहासकार पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफ़ेसर रमेन्द्र नाथ मिश्र आमंत्रित किए गए थे। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अभया रा. जोगलेकर के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने व्याख्यान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आरंग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ के मंदिर, मूर्तियाँ, स्तंभ और शिलालेख हमें प्राचीन भारतीय सभ्यता और कला के गौरवपूर्ण अतीत की झलक प्रदान करते हैं।प्रोफ़ेसर रविन्द्र नाथ मिश्र ने अपने विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान में आरंग को छत्तीसगढ़ का “प्राचीन नगर” बताते हुए उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आरंग कभी समृद्ध नगर और धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ से प्राप्त सिक्के, शिल्पकृतियाँ, विशेषकर जैन एवं बौद्ध मूर्तियाँ, इस बात की पुष्टि करती हैं कि यह नगर अनेक धार्मिक परंपराओं का संगम रहा है।व्याख्यान में उन्होंने विशेष रूप से राजीव लोचन मंदिर, बद्रेश्वर महादेव मंदिर तथा अन्य पुरातात्त्विक अवशेषों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि इन मंदिरों की स्थापत्य कला न केवल उस काल की तकनीकी दक्षता का परिचय देती है, बल्कि यह हमें प्राचीन समाज की धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक वैभव का साक्ष्य भी प्रदान करती है।उन्होंने यह भी कहा कि आरंग का पुरातत्व केवल अतीत का गौरव ही नहीं है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा है। यदि इन धरोहरों का संरक्षण सही ढंग से किया जाए, तो यह स्थान पर्यटन और शोध की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के प्रति सजग रहें और उसके संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएँ।व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं तथा प्राध्यापकों ने पुरातत्व से संबंधित अनेक जिज्ञासाएँ रखीं। प्रोफ़ेसर मिश्र ने धैर्यपूर्वक और स्पष्टता से सभी प्रश्नों का उत्तर दिया।कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक द्वारा किया गया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन इतिहास विभागाध्यक्ष ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों में न केवल ज्ञानवर्धन करते हैं, बल्कि उनमें अपने क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति गहरी रुचि और गर्व की भावना भी जागृत करते हैं।कुल मिलाकर यह व्याख्यान अत्यंत रोचक, ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी सिद्ध हुआ। इसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी, प्राध्यापक तथा स्थानीय गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। यह आयोजन आरंग महाविद्यालय के लिए गर्व और उपलब्धि का क्षण रहा।