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राइस मिलों के राखड़ व गर्दा से लोगो की आंखे हो गई खराब, जिम्मेदार मौन..ग्राम पंचायत ने गांव में स्थित सभी राइस मिलों को प्रदूषण के लिए थमाया नोटिस

राइस मिलों के राखड़ व गर्दा से लोगो की आंखे हो गई खराब, जिम्मेदार मौन..ग्राम पंचायत ने गांव में स्थित सभी राइस मिलों को प्रदूषण के लिए थमाया नोटिस

गांव की महिलाओं ने राइस मिलों के खिलाफ खोला मोर्चा

नवापारा राजिम।नवापारा नगर से लगा हुआ ग्राम पंचायत पारागांव के लोग इन दिनों राइस मिलो से निकलने वाले राखड़, गर्दा व भूसा से काफ़ी परेशान है। रसुखदार राइस मिलर्स पर्यावरणीय नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। वे बेखौफ होकर अपने राइस मिलो का संचालन कर रहें हैं ।जिसके चलते ग्रामीणों के जन जीवन पर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। राइस मिलों की वजह से ग्रामीणों की उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो रही है। ग्रामीणों की आंखों में राइस मिलो का राखड़ पड़ने से आंखे खराब हो रहीं हैं साथ ही पूरे ग्राम पंचायत में काला राखड़, सफ़ेद भूसा, मकानों पर इकट्ठा हो जाता है एवं खाद्य सामग्रियों पर काली परत जमा हो जाती है।वायु प्रदूषण के कारण ग्रामीणों का जीना दुभर हो गया है l अब तो गांव की महिलाएं भी जागरूक हो गई हैं और राइस मिलों से निकलने वाले धुंआ, राखड़, गर्दा, भूसा से परेशान होकर इन राइस मिलों के खिलाफ ग्राम पंचायत के साथ-साथ अपना मोर्चा खोल दिया है। ग्राम पारागांव की नारी शक्तियों के साथ ही पुरुषों व युवाओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया है। जिनमें प्रमुख रूप से
मिलापा यादव ,लता साहू, सुधा बांसवार टीकू सोनकर ,पन्ना सोनकर, मुकेश देवांगन ,जितेंद्र बांसवार ,छवि देवांगन, यशोदा देवांगन, जामुन देवांगन, विजेंद्र देवांगन, सुरेंद्र बांसवार, अमित देवांगन, गंगा देवांगन, सुनीता ,भावना सोनकर, सुमन देवांगन, राजकुमारी सोनकर, आशा देवांगन ,दुर्गा तिवारी, चंपी, धनेश्वरी बांसवार, दुलारी बांसवार, विमला बांसवार ,पुरुषोत्तम बासवार के साथ ही अनेक लोग शामिल हैं।
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत पिछले कुछ सालों से राइस मिलों के राखड़ से बेहद त्रस्त हो गया है। राइस मिलों के राखड़ से पीड़ित केश कुमार यादव ने बताया कि पिछले 2 सालों से उनकी आंख खराब है ,वजह ये है कि राइस मिलो से निकलने वाले राखड़ के आंख में पड़ने के कारण अब एक आंख दिखाई देना बंद कर दिया है। अपनी आंख का इलाज कराते कराते वह थक सा गया है। lऐसे ही एक और पीड़ित हैं राजेन्द्र निषाद जो की लॉक डाउन के समय से ही आंख पर राखड़ पड़ने की कारण उसके आंख से धुंधला पन दिखाई दे रहा है । आंख के इलाज के लिए आर्थिक समस्या आड़े आ रही है साथ ही बताया की गरीबी के कारणृ वह ईलाज नही करा पा रहा है l बाजार चौक में रहने वाली बुजुर्ग महिला लक्ष्मी देवांगन ने इस संवाददाता को बताया कि राइस मिल के राखड़ के वजह से पिछले दो साल से उनकी दोनों आंख से कम दिखाई दे रहा है।
ग्राम पारागांव में ऐसे और भी अनेक पीड़ित लोग हैं जो की राइस मिलों के राखड़ से आंखों की परेशानी से जूझ रहे हैं। गांव में राइस मिलों के राखड़, भूंसा व गर्दा का प्रदुषण लगातार जारी है। गांव में स्थित अनेक राइस मिलों का गंदा पानी नाले की शक्ल में नदी में सीधा छोड़ा जा रहा है। जो कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था एनजीटी के नियमों के खिलाफ है। राइस मिलों के गंदे पानी की वजह से पूरी नदी खराब हो गई है,नदी में जलकुंभी उग आए हैं। नदी के प्रदूषित पानी में नहाने से कई लोगों को चर्म रोग की शिकायत हो गई है। वे इलाज करा करा कर काफी परेशान हो गए हैं ।राइस मिलों की चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं आसमान को काला कर रहा है। वायु मंडल को प्रदूषित कर रहा है। इतना सब होते हुए भी पर्यावरण संरक्षण मंडल अपनी आंखें मूंदे बैठा है। प्रदेश में भाजपा सत्ता के सिंहासन पर बैठी हुई है। अब देखना यह होगा कि मानव जीवन और उसके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले इन राइस मिलों पर क्या कार्रवाई करती है.?

तुकाराम कंसारी राजिम

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