Blog

भारतीय विरासत हमारी पहचान और अस्मिता को दर्शाती है –योगेश मधुकर

भारतीय विरासत हमारी पहचान और अस्मिता को दर्शाती है –योगेश मधुकर

शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चिंगरौद में बैगलेस डे दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित की गई जिसमें हमारे देश की भारतीय विरासत एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के बारे में बच्चों से चर्चा परिचर्चा कर शिक्षकों के द्वारा उक्त विषयों के बारे में विस्तार से बताया गया।
शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने भारतीय विरासत के बारे में बच्चों को बताते हुए कहा की विरासत (Heritage) का अर्थ है किसी समाज, संस्कृति, या देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और प्राकृतिक धरोहर। यह वे सभी चीजें हैं जो हमें हमारे पूर्वजों से विरासत में मिलती हैं और जो हमारी पहचान और अस्मिता को दर्शाती है। उन्होंने विरासत के प्रकारों को बताते हुए कहा कि सर्वप्रथम हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसमें हमारी भाषा, धर्म, रीति-रिवाज, कला, साहित्य, और संगीत शामिल हैं।

दूसरी ऐतिहासिक विरासत है इसमें हमारे इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं, स्मारक, और स्थल शामिल हैं। तीसरी प्राकृतिक विरासत है इसमें हमारे देश की प्राकृतिक सुंदरता, जैसे कि पहाड़, नदी, और वनस्पति शामिल हैं। चौथी आती है
भौतिक विरासत इसमें हमारे देश की ऐतिहासिक इमारतें, स्मारक, और कलाकृतियाँ शामिल हैं।
उन्होंने भारतीय विरासत के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि यह हमारी पहचान और अस्मिता को दर्शाता है साथ ही हमारे इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करता है। यह हमारे पूर्वजों के योगदान को याद दिलाता है साथ ही हमारे देश की सुंदरता और समृद्धि को भी प्रदर्शित करता है।


भारतीय विरासत की सुरक्षा और संरक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि आज हमें अपनी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में काम करना चाहिए। हमें अपनी विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी विरासत के महत्व को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए।
उद्बोधन की इसी कड़ी में डीगेश कुमार ध्रुव ने अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के बारे में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि


राष्ट्रीय शांति दिवस वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन विश्वभर में शांति और अहिंसा का संदेश फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों के बीच शांति और सहअस्तित्व को बढ़ावा देना था। यह दिन विश्वभर में संघर्षों और युद्धों से प्रभावित लोगों के लिए एक प्रतीकात्मक दिन है, जिसमें यह संदेश दिया जाता है कि सभी को शांति के साथ जीने का अधिकार है। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति घंटा बजाने की परंपरा है, जो शांति और सहअस्तित्व का प्रतीक है।
इस अवसर पर स्कूल के समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button