
केशकाल। छत्तीसगढ़ में इन दिनों SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) की प्रक्रिया चल रही है। जिसको लेकर के प्रशासन युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। ऐसे में प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से नई-नई कहानियां भी निकल कर सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक रोचक कहानी केशकाल से सामने आई है। जहां वर्ष 2012 में एक नाबालिग बच्ची पारिवारिक परेशानियों के चलते तनाव में आकर घर छोड़कर रायपुर चली गई थी। घर वालों ने वर्षों तक पता तलाश करने के बाद उसके मिलने की पूरी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन अब जो SIR के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ी तो उनकी बेटी सुनीता यादव लगभग 13 साल बाद वापस अपने घर लौटी है।
वर्ष 2012 में घर छोड़कर रायपुर में दादी के साथ थी
इस बारे में सुनीता से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि पिताजी के द्वारा आए दिन शराब पीने और मारपीट करने से परेशान होकर मैं वर्ष 2012 में घर छोड़कर चली गई थी। मैं रायपुर में ही एक दादी अम्मा के घर में रहकर अपना जीवन यापन कर रही थी। उन्होंने कहा था कि जब तू बालिग हो जाएगी तब मैं तेरी शादी भी करवाऊंगी। लेकिन 2019 में उनका देहांत हो गया। इस दौरान कई बार मुझे लौट कर वापस घर आने का मन तो किया लेकिन पिताजी के डर के कारण वापस घर लौटने की हिम्मत नहीं हुई।
SIR नहीं होता तो शायद घरवालों से कभी नहीं मिल पाती
सुनीता ने बताया, SIR के लिए जब बीएलओ ने मुझसे दस्तावेज मांगे तो उसमें माता-पिता का परिचय पत्र मतदाता सूची में नाम एवं अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ी। लेकिन मेरे पास कोई दस्तावेज नहीं थे इसलिए मैं रायपुर से केशकाल आई हूं। इतने सालों के बाद माता-पिता से मिलकर मुझे काफी खुशी हुई और वह भी मुझे देखकर काफी खुश नजर आए। अगर SIR के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं पड़ती तो शायद मैं वापस केशकाल कभी नहीं आती। लेकिन अब जो की घरवालों से मेरा संपर्क हो गया है और घर की स्थिति भी सामान्य है। ऐसे में अब मैं समय-समय पर अपनी माता-पिता से मिलने केशकाल आया करूंगी।




