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खेमड़ा पंचायत में 8 से 10 लाख के घोटाले का आरोप, सरपंच-सचिव के खिलाफ ग्रामीणों ने कलेक्टर से की शिकायत।

खेमड़ा पंचायत में 8 से 10 लाख के घोटाले का आरोप, सरपंच-सचिव के खिलाफ ग्रामीणों ने कलेक्टर से की शिकायत।

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ग्राम पंचायत के पंच और ग्रामीणों ने लगाए फर्जी बिलिंग व बिना कार्य भुगतान के गंभीर आरोप, जांच टीम पर पक्षपात का आरोप

महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत खेमड़ा में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। ग्राम पंचायत के पंचों और ग्रामीणों ने सरपंच शंकरलाल ठाकुर और सचिव चंद्राकर साहू पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बीते आठ महीनों में पंचायत की योजनाओं और विकास कार्यों के नाम पर लगभग 8 से 10 लाख रुपये का घोटाला किया गया है। ग्रामीणों के अनुसार, पंचायत में फर्जी बिलिंग, घटिया निर्माण और बिना कार्य किए भुगतान जैसी कई गड़बड़ियां की गई हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जनपद स्तर पर की गई प्रारंभिक जांच पक्षपातपूर्ण और अपूर्ण रही। जांच के दौरान निरीक्षण करने आए अधिकारी के पास कोई भी दस्तावेज नहीं थे और ना ही आवेदन के आधार पर ग्रामीणों से और शिकायतकर्ताओं से पूछताछ की। इसके चलते ग्रामीणों ने निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपील की है। भरथरी महानद ग्राम पंचायत उप सरपंच खेमड़ा ने बताया कि ग्राम पंचायत में विकास कार्य के नाम पर जमीन पर कुछ नहीं हुआ है, लेकिन बीते आठ महीनों में भ्रष्टाचार की सीमा पार कर दी गई है सचिव और सरपंच ने मिलकर पुराने सीसी रोड पर ही नया सीसी रोड बना दिया।

नल-जल योजना में फर्जी बिलिंग का आरोप…..

जानकारी के अनुसार, बागबाहरा के एक निजी फर्म से नल-जल योजना के तहत लगभग 1 लाख 10 हजार का सामान खरीदा गया। बिल में तीन नग वॉटर टैंक (प्लास्टो कंपनी, 1000 लीटर) का उल्लेख किया गया है, जबकि स्थल पर स्थानीय “गौरी एक्वा” कंपनी के टैंक लगाए गए हैं।

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ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि अन्य सामग्रियों में भी भारी भ्रष्टाचार किया गया है।

इसके साथ ही पंचायत के अन्य विकास कार्यों के नाम पर भी फर्जी भुगतान किए जाने की शिकायत दर्ज है, जो सचिव चंद्राकर साहू और सरपंच शंकरलाल ठाकुर के मिलकर करने का आरोप लगाया गया है।


जांच टीम पर भी उठे सवाल

शिकायत के बाद जनपद पंचायत सीईओ बागबाहरा ने जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की थी, लेकिन गांव में सिर्फ एक अधिकारी ही पहुंचे।
मौके पर जांच करने पहुंचे अधिकारी क्षीरसागर पटेल न तो जांच के कोई दस्तावेज लेकर आए, और न ही किसी प्रकार का पंचनामा तैयार किया गया।
ग्रामीणों ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जांच केवल खानापूर्ति के लिए की जा रही है।

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जांच के दौरान मजदूरी कार्य के मास्टर रोल में भी छेड़छाड़ के संकेत मिले हैं।
इसी के चलते ग्रामीणों ने मंगलवार को जनदर्शन कार्यक्रम में कलेक्टर से पुनः जांच की मांग की है।

ग्रामीणों की मांग : पारदर्शी जांच और दोषियों पर कार्रवाई

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पारदर्शी और निष्पक्ष जांच नहीं होगी, तब तक ग्राम पंचायत में विकास कार्यों पर भरोसा बहाल नहीं हो सकेगा।
गांव में चर्चा यह भी है कि आखिर ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले ऐसे भ्रष्टाचार पर निगरानी कौन रखेगा, और कब तक जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग यूं ही जारी रहेगा।

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