
मध्य प्रदेश में बच्चों की रहस्यमयी मौतों को लेकर हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। जहरीले कफ सिरप से जुड़ा यह मामला अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। राज्य के कई जिलों में बच्चों की असामान्य मौतों ने जहां परिजनों के आंसू नहीं थमने दिए हैं, वहीं स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर एमपी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बेहद चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ छिंदवाड़ा और उससे लगे आदिवासी इलाकों में पिछले तीन महीनों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही करीब 500 से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से बीमार बताए जा रहे हैं।
पटवारी ने इन मौतों के पीछे नकली या जहरीली दवाओं के इस्तेमाल की आशंका जताई है और इसे सरकारी लापरवाही का भयावह उदाहरण बताया। उन्होंने प्रदेश सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा करते हुए मांग की कि पूरे प्रकरण की SIT से जांच कराई जाए।
कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल:
जीतू पटवारी ने कहा कि जिन इलाकों में ये मौतें हुई हैं, वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही चरमराई हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से न तो समय पर इलाज उपलब्ध कराया गया और न ही जहरीले कफ सिरप की सप्लाई की रोकथाम के लिए कोई कदम उठाया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि जब बच्चों की मौत की खबरें लगातार सामने आ रही थीं, तब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने क्या एक्शन प्लान तैयार किया? उन्होंने इस पूरे मामले को स्वास्थ्य महकमे की “आपराधिक लापरवाही” करार दिया।SIT जांच की मांग क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि मौतों की वजहों को छिपाया जा रहा है। मौत के सही आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं और सरकारी तंत्र लीपापोती में लगा हुआ है। पटवारी ने स्पष्ट कहा कि “अगर सरकार को सच से डर नहीं है, तो तुरंत SIT का गठन करे और दूध का दूध, पानी का पानी करे।”