
Chhattisgarh : कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र से जुड़े एक वैवाहिक विवाद में हाईकोर्ट (High Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पति को तलाक की अनुमति दे दी है। दरअसल, एसईसीएल में माइनिंग सरदार के पद पर कार्यरत युवक की शादी 11 फरवरी 2010 को हुई थी, लेकिन कुछ समय बाद विवाद गहराया और 2011 से पत्नी पति से अलग रह रही है। इस दौरान पत्नी ने पति और ससुरालवालों पर दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा व भरण-पोषण के कई केस दर्ज कराए।
वहीं पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने वैवाहिक दायित्व निभाने से इनकार कर दिया और परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया। पति ने 2015 में तलाक की अर्जी लगाई थी, जिसे 2017 में फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इसके खिलाफ दायर अपील पर जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि पत्नी लंबे समय से अलग रह रही है और इस बीच उसने कई केस भी दर्ज किए हैं, जिससे पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं बची है। कोर्ट ने इसे पति के प्रति क्रूरता मानते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश निरस्त किया और पति को तलाक की डिक्री प्रदान कर दी। साथ ही पत्नी को बेटी के भरण-पोषण के लिए 15 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश भी दिया गया।