
रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लांड्री सेवा के लिए निकाले गए टेंडर ने विवाद खड़ा कर दिया है। टेंडर में रखी गई 2 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर और 5 करोड़ रुपये की नेटवर्थ की अनिवार्यता को लेकर स्थानीय व्यवसायियों, धोबी समाज और लांड्री कर्मचारी संगठन ने गहरी नाराजगी जताई है।
इन संगठनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने जानबूझकर ऐसी शर्तें रखी हैं, जिससे स्थानीय और मध्यम स्तर के व्यवसायी इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएं और लाभ बड़ी फर्मों को मिले। इसी के विरोध में प्रदेश धोबी समाज के महामंत्री हेमंत निर्मलकर ने अस्पताल प्रबंधन को पत्र भेजकर टेंडर निरस्त करने की मांग की है।
महामंत्री हेमंत निर्मलकर ने कहा — “सेवा की वास्तविक आवश्यकता की तुलना में यह शर्तें अत्यधिक और असंगत हैं। रायपुर में कार्यालय अनिवार्यता भारतीय प्रतिस्पर्धा नियमों के खिलाफ है। यदि टेंडर वापस नहीं लिया गया तो समाज न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होगा।”
इधर, शहर धोबी समाज के अध्यक्ष वरुण निर्मलकर ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर टेंडर रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि “यह पूरी साजिश लघु व्यवसायियों और स्व सहायता समूहों को बाहर करने के लिए रची गई है।”
क्या है विवादित शर्तें?
2 करोड़ वार्षिक टर्नओवर
5 करोड़ नेटवर्थ
18 लाख रुपये परफॉर्मेंस गारंटी
15 दिन में उपकरण स्थापना की अनिवार्यता
रायपुर में कार्यालय अनिवार्य
संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि प्रबंधन टेंडर निरस्त नहीं करता तो कोर्ट में मामला ले जाया जाएगा।