बड़ी खबर-पत्थर खदानों के अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण, तथा फैल रहे भारी प्रदूषण से जबरदस्त नाराजगी-अब कार्यवाही के लिए केंद्रीय मंत्री को भेजा ज्ञापन…

आरंग। राजधानी रायपुर स्थित नगर पालिका परिषद मंदिर हसौद अंतर्गत विद्यमान वर्तमान गौण खनिज खदानों (चुना पत्थर खदानों) के संचालकों/लीजधारियों द्वारा छ:ग गौण खनिज नियम 2015 में निहित प्रावधानों एवं निर्धारित मापदण्डों के विपरीत खदान संचालित किए जाने,जिससे निकाय क्षेत्र अंतर्गत हो रहे भारी पर्यावरण प्रदूषण (वायु,जल,मृदा) के समुचित रोक-धाम एवं दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए उनका खनन पट्टा निरस्त किए जाने एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम अंतर्गत त्वरित कार्यवाही किए जाने विषयक आवेदन परिषद के पार्षद अधि.अनुज मिश्रा द्वारा ऊपर नामित मंत्रियों/प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष के नाम भेजा गया है।उन्होंने अपने आवेदन मेंछःग गौण खनिज नियम 2015 एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 हवाला देते हुए नगर पालिका परिषद मंदिर हसौद के अंतर्गत वर्तमान गौण खनिज खदानों (पत्थर खदान) के प्रायः सभी लीजधारियों/पट्टाधारियों द्वारा पर्यावरणीय नियमों एवं प्रावधानों का खुले तौर पे अतिक्रमण/उल्लंघन करते हुए क्षेत्र में अवैध चुना पत्थर का खनन, परिवहन एवं भंडारण किया जा रहा है।जो राज्य शासन द्वारा बनाए गए नियम-शर्तों के प्रति घोर उपेक्षा,लापरवाही एवं कदाचरण कि श्रेणी में आता है।उन्होंने बताया कि मंदिर हसौद स्थित सभी चुना पत्थर खदानों द्वारा खनिज (खनन,परिवहन, एवं भंडारण) नियम 2009 अनुसार बिना परमिट खनिजों के अवैध खनन,परिवहन,एवं भंडारण का काम किया जा रहा है।जिस पर उन्होंने शीघ्र लगाम लगाते हुए अवैध खनन,भंडारण तथा परिवहन पर रोक लगाए जाने की मांग की है।उन्होंने आगे बताया कि मंदिर हसौद स्थित सभी खदानों के पट्टाधारियों द्वारा छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के नियम 51 के उप-नियम 11 के तहत निर्दिष्ट पट्टेदार अपने स्वयं के खर्च पर खनन क्षेत्र का सीमांकन को इंगित करने के लिए आवश्यक सीमा चिन्हों और सीमा स्तंभों का निर्माण,रखरखाव और सही मरम्मत कराया जाना प्रावधानित है ताकि खान सीमाओं/क्षेत्रों का सीमांकन न होने के कारण पट्टाकृत क्षेत्रों कि प्रथम दृष्टिया पहचान संभव हो सके,जिसका अनुचित लाभ उठाते हुए लीजधारियों द्वारा उत्खनन क्षेत्र से भिन्न आस-पास लगे अन्य क्षेत्र में भी उत्खनन किया जा रहा है,जो भारतीय खान ब्यूरो के निर्धारित मानक के अनुसार सीमा स्तंभों का रखरखाव अनिवार्य है जिसका किसी भी पट्टाधारी द्वारा अपने खनन क्षेत्र में सीमा चिन्ह नहीं लगाया गया है यह उत्खनन पट्टा विलेख (भाग 7 के क्रमांक 2) कि शर्तों का उल्लंघन है ऐसी स्थित में सभी खनन कर्ताओं के खनन पट्टा/अनुज्ञप्ति निरस्त किए जाने की भी मांग की गई है।साथ ही मंदिर हसौद अंतर्गत संचालित किसी भी खदान के संचालनकर्ता द्वारा बफर जोन नहीं बनाये जाने की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 अनुसार बफर जोन के चारों ओर 7.5 मीटर तक वृक्षारोपण किया गया है जो छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के नियम 42 का खुला उल्लंघन एवं अतिक्रमण है इस प्रकार इन लीजधारियों का उपरोक्तानुसार कृत्य केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ग्रीन हाउस गैस रिपोर्टिंग नियम एवं मान.सर्वोच्च न्यायालय एवं विभिन्न राज्यों के मान.उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर विभिन्न उद्योगों/खदानों के संचालन के संबंध में जारी पर्यावरणीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन कि श्रेणी में आता है।उन्होंने अपने ज्ञापन में बताया है कि मंदिर हसौद निकाय अंतर्गत विद्यमान समस्त पत्थर खदानों द्वारा तय सीमा से अधिक खनन किए जाने एवं शासन/प्रशासन के नाक तले हैवी ब्लास्टिंग कर नियम-शर्तों के विपरीत अपने मनमुताबिक भर्राशाही/मनमानी व्यवहार प्रगट किया जा रहा है जिससे क्षेत्र में भूमिगत जल संकट उत्पन्न हो गया है।उन्होंने इन सभी तत्काल कार्यवाही की मांग करते हुए केंद्रीय पर्यवारण मंत्री को पत्र लिखा है।
विनोद गुप्ता-आरंग


