
रायपुर :- छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों से लागू तबादला प्रतिबंध के हटने की अटकलें तेज हो गई हैं। खबर है कि राज्य सरकार जल्द ही तबादला नीति को लेकर बड़ा निर्णय ले सकती है। इसी बीच प्रस्तावित कैबिनेट बैठक को लेकर भी कयासों का दौर जारी है, जहां तबादले पर लगी रोक हटाने का प्रस्ताव लाया जा सकता है।
दो वर्षों से बंद है नियमित तबादला प्रक्रिया
वर्ष 2022 के बाद से छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों के लिए नियमित तबादला नीति लागू नहीं की गई है। हालांकि, समन्वय अनुमोदन के आधार पर कुछ तबादले जरूर हुए हैं, लेकिन खुली नीति का इंतजार अब भी जारी है। इससे राज्य के लाखों कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं।
प्रस्ताव आया तो मिल सकता है गृह जिले में तबादले का अवसर
अगर कैबिनेट में तबादला नीति का प्रस्ताव आता है और पारित होता है, तो द्वितीय से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारियों को अपने गृह जिले या नजदीकी क्षेत्र में स्थानांतरण का अवसर मिल सकता है। इस नीति में कोई मूलभूत बदलाव नहीं होगा, केवल स्थानांतरण की समयावधि और प्रतिशत की सीमा तय की जाएगी।
जिला स्तर पर तबादले की प्रक्रिया
तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री की अनुमति से कलेक्टर द्वारा किए जाएंगे।
- तृतीय श्रेणी: अधिकतम 10% कर्मचारी
- चतुर्थ श्रेणी: अधिकतम 10% कर्मचारी
तबादला आदेश के बाद कर्मचारी को 10 दिन के भीतर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। स्थानांतरण केवल समान संवर्ग और अधिकार क्षेत्र में ही होगा।
राज्य स्तर पर अगस्त-सितंबर में हो सकते हैं तबादले
राज्य स्तर पर विभिन्न विभागों के तबादले अगस्त-सितंबर के बीच प्रस्तावित हैं। संबंधित विभाग तबादला प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसे विभागीय मंत्री की स्वीकृति के बाद क्रियान्वित किया जाएगा।
इन बिंदुओं पर रहेगा विशेष ध्यान
- बस्तर और सरगुजा संभाग में रिक्त पदों की प्राथमिकता से पूर्ति।
- दिव्यांग कर्मचारियों को सुविधाजनक स्थान पर पदस्थापना।
- वरिष्ठ पदों पर केवल समकक्ष अधिकारियों की ही नियुक्ति।
- स्थानीय निवासी कर्मचारियों का जिले से बाहर तबादला नहीं होगा, केवल आपसी सहमति से अधिसूचित जिलों के बीच स्थानांतरण संभव होगा।शिक्षा विभाग की स्थितिशिक्षा विभाग में फिलहाल कोई स्पष्ट तबादला नीति नहीं है। विभाग में इस समय युक्तियुक्तकरण (Rationalization) प्रक्रिया के तहत शिक्षकों का पुनर्संयोजन किया जा रहा है, जिसे ही तबादला मानकर लागू किया जा रहा है। केवल लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों के तबादले की अनुमति दी जा रही है। सरकार के आगामी निर्णय से राज्य के कर्मचारियों को लंबे समय से प्रतीक्षित स्थानांतरण की प्रक्रिया में राहत मिलने की उम्मीद है।