हरेली तिहार में छत्तीसगढ़ी संस्कृति से सराबोर हुआ बेलसोंडा, महिलाओं ने जिए बचपन के पल
खेलकूद, हरा परिधान और सांस्कृतिक उल्लास से भरा रहा आयोजन, हुलसी चंद्राकर की पहल रंग लाई

महासमुंद, 25 जुलाई।
जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर बसे बेलसोंडा गांव में हरेली तिहार इस बार कुछ खास अंदाज में मनाया गया। जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती हुलसी चंद्राकर की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं ने पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधानों में शामिल होकर न सिर्फ त्यौहार को उल्लासपूर्ण बनाया, बल्कि पारंपरिक खेलों के माध्यम से अपने बचपन की यादें भी ताज़ा कीं।
हरे परिधान में सजी सैकड़ों महिलाओं ने फुगड़ी, जनउला और खो-खो जैसे खेलों में भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जीवित रखना और महिलाओं को व्यस्त दिनचर्या से निकालकर एक दिन आनंद और आत्म-सम्मान से जोड़ना।

इस अवसर पर जनपद उपाध्यक्ष हुलसी चंद्राकर ने कहा, “छत्तीसगढ़ी संस्कृति हमारी पहचान और धरोहर है, इसे जीवित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। महिलाएं समाज की रीढ़ हैं, उन्हें खुश और सशक्त बनाकर पूरे समाज को मजबूती मिलती है।”
कार्यक्रम में खेलों के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया। सरपंच श्रीमती प्रीति धीवर एवं विशिष्ट अतिथियों कुंती धीवर, वीणा धीवर, नेहा धीवर, नर्मदा धीवर, शिक्षिका सुखबती कनौजे, दशोदा चंद्राकर ने पुरस्कार वितरण किया।
जनउला में विजेता बनीं केजा धीवर, रूखमणी बाई और कुमारी धीवर। फूगड़ी में किर्ति साहू, और फूग्गा फोड़ में कुंती धीवर ने जीत दर्ज की।

कार्यक्रम में शीलू, भगवती, नेमिन, हुलास, तुलसी, दशोदा, रुक्मणी, दसमत, लक्ष्मी, अंजलि, मथुरा, कमला, सुशीला, दुलारी, रामबाई, मनटोरा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं।
बेलसोंडा में मनाया गया यह आयोजन एक मिसाल बन गया — कि जीवन की भागदौड़ में भी हम अपने संस्कार, संस्कृति और सामूहिक उल्लास के साथ जुड़कर नई ऊर्जा और प्रेरणा पा सकते हैं।