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युक्तियुक्तिकरण के विरोध में 28 मई को मंत्रालय का घेराव,23 संगठनों ने बनाया सर्व शिक्षक मंच


युक्तियुक्तिकरण के विरोध में 28 मई को मंत्रालय का घेराव,23 संगठनों ने बनाया सर्व शिक्षक मंच

विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया का 7 महीने पहले ही शिक्षा जगत में व्यापक विरोध हुआ था और विरोध के चलते ही उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाया गया था।
यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर जिस आदेश को विरोध व खामियों के चलते रोका गया, उसी को मूल रूप में फिर से सामने क्यों लाया गया, जबकि उन्हें पहले से पता था कि इस आदेश के पुनः क्रियान्वयन पर विरोध होना तय है, शिक्षा विभाग युक्तियुक्तकरण की खामियों को दूर करने के बजाय नित नए अव्यवहारिक तथ्य परोसने में क्यों लगा है?
यदि शिक्षा विभाग युक्ति युक्तियुक्तिकरण के विसंगतियों हटाकर शिक्षक संघो के मांगो के अनुरूप युक्तियुक्तिकरण की नीति लाती तो शिक्षा व्यवस्था और दुरुस्त होता तथा शैक्षिक संगठनो को सड़क की राह नही पकड़ना पड़ता।
शिक्षा विभाग के अधिकारी ही प्रदेश के स्कूलों के लिए जारी 2008 के सेटअप को क्यों नकार रहे हैं, जबकि वह अभी प्रभावशील है, उसी सेटअप के अनुरूप स्कूलों में शिक्षकों के पदों की स्वीकृति भी दिया गया है, वेतन आहरण किया जा रहा है, शिक्षा विभाग के अधिकारी जानते हैं कि केवल कोई आदेश को अप्रासंगिक कह देने से ही वह अमान्य नहीं हो जाता है, बल्कि यह विधि का विषय हो जायेगा।


छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा,संयोजक सुधीर प्रधान जिलाध्यक्ष नारायण चौधरी, शोभा सिंहदेव, पूर्णानंद मिश्रा, केशवराम साहू, अर्चना तिवारी, सादराम अजय, लालजी साहू, नंदकुमार साहू, विजय प्रधान, नरेश पटेल, कौतुक पटेल, लोरिश कुमार, प्रदीप वर्मा, पुष्पलता भार्गव विकासखंड अध्यक्ष राजेश साहू, विनोद यादव, महेन्द्र चौधरी, गजेंद्र नायक, ललित साहू ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का यह कहना भी गलत है कि प्राथमिक स्कूलों में केवल दो कक्ष ही बने हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारीगण यह बात स्वीकारने से क्यों डर रहे हैं कि प्रदेश के प्रत्येक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला में शिक्षक का एक-एक पद न्यूतम छात्र संख्या में समाप्त कर रहे हैं।
यह बात पूर्णतः सत्य है कि वर्तमान विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के माध्यम से न्यूनतम छात्र संख्या के नए मानक तय कर प्रदेश के 30700 प्राथमिक व 13149 पूर्व माध्यमिक शालाओं को मिलाकर कुल 43849 सहायक शिक्षकों व शिक्षकों के पद को खत्म करने जा रहे हैं।

हायर सेकेण्डरी स्कूलों में भी युक्तियुक्तकरण के नाम से सेटअप के विपरीत पदों को समाप्त कर शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में लगे हुए हैं, यदि शासन प्रशासन, शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहते है तो शिक्षक संघ के माध्यम से मिले सकारात्मक सुझाव को दरकिनार क्यों कर रहे हैं? शिक्षक संघों के साथ बैठकर इसका समाधान क्यों नहीं निकाल रहे हैं?

कुल मिलाकर देखा जाए तो अधिकारियों की मंशा शिक्षा व्यवस्था को सुधारना नहीं, बल्कि चौपट करना है। प्रदेश के 23 शिक्षक संघों ने विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण के लिए एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आगामी 28 मई को मंत्रालय के घेराव का निर्णय लिया है। शिक्षा विभाग के पास अब भी वक्त है कि विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण के स्थान पर 2008 के सेटअप के अनुसार स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था सुनिश्चित करे।

युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में न्यूनतम छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की उपलब्धता की जाए, सेटअप 2008 में न्यूनतम छात्र संख्या पर प्राथमिक शाला में 1+2 और पूर्व माध्यमिक शाला में 1+ 4 का मानक दिया गया है तो आखिर इस मानक को युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में प्रावधानित करते हुए छात्र संख्या बढ़ने पर प्राथमिक शाला में 30 छात्रों पर एक अतिरिक्त शिक्षक व पूर्व माध्यमिक शाला में 35 छात्रों पर एक अतिरिक्त शिक्षक की व्यवस्था किया जाना चाहिए यहां पर शिक्षा विभाग द्वारा अपने तथ्यों से यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती की जाएगी, वास्तविकता तो यह है कि न्यूनतम छात्र संख्या में सेटअप 2008 में जो दिए गए प्रावधान है उसका पालन किया जावे अन्यथा 2008 सेटअप के खिलाफ किया गया कोई भी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया या कार्य विधि संगत नहीं होगा।

एक ही परिसर की शालाओं में नए प्रवेश का प्रावधान शिक्षा विभाग में पहले ही समाप्त कर दिया है इसके लिए व्यवस्था पूर्व में ही दी गई है कि कक्षा पहली से पांचवी अध्ययन कर उत्तीर्ण होने वाले छात्र उसी परिसर के उच्च कक्षा में स्वतः प्रवेशित माने जाएंगे इस आधार पर पांचवी के छात्रों को सीधे कक्षा 6 वीं में प्रवेश दिया जाता है, कक्षा आठवीं के छात्रों को सीधा कक्षा 9 वीं में प्रवेश दिया जाता है और 10 वीं के छात्रों को सीधे 11वीं कक्षा में प्रवेश दिया जाता है अतः कई बार अलग अलग प्रवेश लेने की जो भ्रांति फैलाई जा रही है, यह पूर्णता गलत है।

प्रत्येक विद्यालय के संचालन के लिए एक विद्यालय प्रमुख की भूमिका अनिवार्य होती है ताकि वह मध्यान्ह भोजन, छात्रों के पुस्तक, गणवेश के साथ ही साथ शिक्षकों का निरीक्षण करें, इसके लिए प्रधान पाठक का पद प्राथमिक में पूर्व माध्यमिक शाला में भी होना अनिवार्य है, प्रत्येक प्रा व पूर्व मा शाला में प्रधान पाठक का स्वीकृत पद रहने से शिक्षकों को पदोन्नति का भी अवसर मिलेगा। 2008 के युक्तियुक्तिकरण में जिन शिक्षकों से विकल्प भरवाकर उन्हें उस विषय को अध्यापन कराने के लिए बाकायदा प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र दिया गया अब उन्हें फिर से अतिशेष बनाया जा रहा है।संकुल समन्वयकों को पृथक नही रखा जाना ,प्रधान पाठक पद की गणना शिक्षक के समतुल्य किया जाना,वाणिज्य विषय के लिए केवल 01 व्याख्याता की बात करना तार्किक धरातल से कोशों दूर प्रतीत होता है तथा शैक्षिक गुणवत्ता पूर्ण अध्यापन व्यवस्था पर तुसारापात है।
जिला महासमुंद के उपाध्यक्ष खोशिल गेन्द्रे, खिलावन वर्मा, दीपक देवांगन, वीरेंद्र नर्मदा, दिलीप नायक, विकास साहू, कौशल साहू पवन साहू
अनिल साव, अरुण प्रधान, तुलेंद्र सागर, तुलसी पटेल,तुलाराम राणा,सम्पा बोस, गजानंद भोई, हेमंत दास, मोहन साहू, लक्ष्मण दास मानिकपुरी, राधेश्याम पटेल, मनीष अवसरिया, देवेंद्र चन्द्राकर, गौरीशंकर पटेल, सोमनाथ चौहान, वारिश कुमार, महेंद्र पाल साहू, देवेंद्र भोई, कैलाशचंद्र पटेल, दमयंती कौशिक, जितेंद्र साहू, विद्या चन्द्राकर, घनश्याम चक्रधारी, धर्मेंद्र राणा, पवन यादव ने जिला के समस्त शिक्षक संवर्ग से 28 मई को सर्व शिक्षक संघ के बैनर में आयोजित मंत्रालय घेराव में उपस्थित होकर विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तिकरण वापस हो का नारा बुलंद करने की अपील की है।सर्व शिक्षक संघ ने कहा है कि जबतक युक्तियुक्तिकरण के विसंगतियों को दूर नही किया जाएगा तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
उक्ताशय की जानकारी जिला सचिव नंदकुमार साहू जिला मीडिया प्रभारी प्रदीप वर्मा ने दी।

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