पोला पर्व-नगर में सजा बैलों और खिलौनों का बाजार-घरों में बनाया जायेगा ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान….
आरंग। आरंग एवं ग्रामीण अंचल के प्रमुख पर्व पोला 02 सितंबर को उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाएगा। पर्व की तैयारी को लेकर पिछले कुछ दिनों से शहर के बाजार में मिट्टी के बैल और छोटे-छोटे खिलौने बिकने शुरू हो गए हैं। बच्चों में पोला पर्व को लेकर काफी उत्साह है।मिट्टी से बने बैल अलग-अलग रंगों के साथ डिजाइन में एवं मिट्टी से बने पोला और खिलौने जैसे चूल्हा, मटका, कढाई, गंजी समेत अन्य प्रकार से बने मिट्टी के बर्तन बिकने के लिए दुकानें लगनी शुरू हो गईं।छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति और त्योहारों के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है पोला, जिसे हर साल भादो की अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें अन्नादाता के साथी यानी बैल को सजाकर विशेष पूजा की जाती है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है इसलिए यहां कृषि कार्य में बैल का विशेष योगदान होता है, जहां बोआई से लेकर बियासी तक किसान बैल का उपयोग करते हैं। मिट्टी के बैल की पूजा करने के बाद बच्चे मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी के बैलों के साथ खेलते हैं। पोला तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है।इस त्योहार में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदीबैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है।
विनोद गुप्ता-आरंग