
रायपुर। छत्तीसगढ़ में तबादलों पर प्रतिबंध लग गया है। अगले साल 6 फरवरी तक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य किया जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार ने इस कार्य में जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा दी है।
ज्ञातव्य है, छत्तीसगढ़ समेत आधा दर्जन राज्यों में भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। एक नवंबर से इसका आगाज हो गया। मतदाता सूची का जब भी पुनरीक्षण किया जाता है, भारत निर्वाचन आयोग इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इससे जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा देता है। इसके लिए निर्वाचन आयोग सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेज सूचित कर देता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी यशवंत कुमार के पत्र के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादलों पर पाबंदी लगा दी है। सूत्रों का कहना है कि जीएडी ने इस संबंध में 30 अक्टूबर की डेट में आदेश निकाला मगर राज्योत्सव और प्रधानमंत्री विजिट के चक्कर में इसे जारी नहीं किया जा सका।
राज्य सरकार ने तबादलों पर प्रतिबंध का जो आदेश निकाला है, उनमें कलेक्टर से लेकर एडिशनल कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार समेत बूथ लेवल के बीएलओ, अधिकारियों, कर्मचारियों का ट्रांसफर शामिल है। बता दें, बीएलओ और बूथ लेवल पर पुनरीक्षण कार्य के लिए बड़ी संख्या में शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अनुमति
मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य कार्य एक नवंबर 2025 से छह फरवरी 2026 तक होना है। इस अवधि में विशेष परिस्थितियों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अनुमति से राज्य सरकार ट्रांसफर कर पाएगा। ठीक उसी तरह, जैसे विधानसभा, लोकसभा चुनाव के समय आचार संहिता के दौरान होतो है।
कलेक्टरों का ट्रांसफर रुक जाएगा
राज्योत्सव के बाद 6 या 7 नवंबर को कलेक्टरों की एक लिस्ट निकलनी थी। हालांकि, सूची ज्यादा बड़ी नहीं थी, दो-तीन नाम थे। मगर अब ट्रांसफर पर बैन से कलेक्टरों के तबादले नहीं हो पाएंगे। कलेक्टर तो वैसे भी पदेन जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं, उन्हीं के नेतृत्व में मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य होता है। इसलिए कलेक्टरों का ट्रांसफर अब 6 फरवरी तक नामुमकिन है। कोई विशेष स्थिति में सरकार अगर निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर किसी कलेक्टर का ट्रांसफर कर दे तो बात अलग है।




