डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 73 वीं पुण्यतिथि-मानवता वादी संस्कृति के प्रतीक के रूप में किया उनका स्मरण…

आरंग।अग्रसेन योगासन शाखा अग्रवाल पारा आरंग आज विक्रम संवत2082 आषाढ मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 73 वीं पूण्यतिथि मनाई गई।अग्रसेन योगासन शाखा अपने नित्य दिनचर्या आसन , प्राणायाम , ध्यान योग एवं ध्वज प्रणाम के बाद मुख्य अतिथि सूरज साहू एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष होरीलाल गुप्ता द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी , डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार , एवं गुरुजी सदाशिव गोलवलकर की छाया चित्र पर पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया गया । मुख्य अतिथि सूरज साहू ने अपने उध्बोधन में कहा कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक थे , जो आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाने जाते हैं । वे मानवता वादी संस्कृति के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं । कार्यक्रम के अध्यक्ष होरीलाल गुप्ता ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा तथा धारा 370 को राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा मानते हुए विरोध किया था ।वे कहते है कि एक देश-दो विधान , दो प्रधान , दो निशान नही चलेगा। अभिनेष अग्रवाल ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुत विद्वान थे मात्र 23 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गए थे ।आज हमें उनके गौरवशाली इतिहास महान विचार , एवं उनकी सोच को युवा पीढ़ी तक पहुंचने की आवश्यकता है । दीपक साहेब गुरुगोश्वामि ने कहा कि डॉ. मुखर्जी के मृत्यु के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी एवं उनके कार्यकर्ताओं द्वारा एक ही नारा गूँजने लगा।जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है । शंकर पाल ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी मां भारतीय के महान सपूत थे ,वे भारतीय मूल्यों , सामाजिक ,आर्थिक दुष्प्रभाव के खिलाफ थे । इस अवसर पर बृजेश अग्रवाल , रविन्द्र अग्रवाल ,ओम गुप्ता ,शिव कुमार गुप्ता , बलराम साहू , गोपाल पाल ,रामकुमार कंसारी आदि उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त अशोक कुमार ठाकुर द्वारा किया गया ।
विनोद गुप्ता-आरंग


