जब जनता भर रही है गड्ढे, तो प्रशासन किस काम का?

साराडीह–बरोंडा मार्ग पर जय महामाया शीतला जन कल्याण सेवा समिति के सदस्यों ने श्रमदान कर सड़क के गड्ढे भरे। यह काम प्रशासन का होना चाहिए था, मगर यहां जनता ही सड़क दुरुस्त करने उतरी। सवाल यह है कि आखिर टैक्स देने वाले लोगों को बार-बार अपनी सुरक्षा के लिए क्यों मजबूर होना पड़ता है?

लगातार मीडिया में इस सड़क की बदहाली पर रिपोर्टें छपती रहीं, दर्जनों हादसे भी हुए, लेकिन प्रशासन की आंखें नहीं खुलीं। जब यह सड़क ठीक थी, तो कलेक्टर से लेकर बड़े अधिकारी रायपुर तक इसी मार्ग से गुजरते थे। अब सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हैं, तो अधिकारी इस रास्ते से किनारा कर रहे हैं। यह जिम्मेदारी से भागना नहीं तो और क्या है?
क्या प्रशासन के पास इतना भी फंड नहीं कि गड्ढों को भरकर लोगों की जान बचाई जा सके? या फिर आमजन का दर्द उनकी प्राथमिकता में ही नहीं? सड़क पर रोजाना विद्यार्थियों, किसानों और आम राहगीरों का गुजरना होता है, जिनमें ज्यादातर दोपहिया वाहन चालक हैं। वे दुर्घटना का शिकार हों, अस्पताल पहुँचें, बीमार पड़ें—इससे प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता।
समिति और ग्रामीणों ने श्रमदान कर एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है, मगर यह भी हकीकत है कि यह काम स्थायी समाधान नहीं है। जिम्मेदारी प्रशासन की है, जिसे टालना जनता के साथ अन्याय है।
इस सेवा कार्य में लोमेश चन्द्राकर, विपिन चन्द्राकर, मोनू चन्द्राकर, होरीलाल साहू, राजेश साहू, कमल साहू, देवेंद्र साहू सहित अनेक सदस्यों का अहम योगदान रहा। ग्रामीणों और राहगीरों ने राहत की सांस लेते हुए समिति की सराहना की।
अब सवाल जनता पूछ रही है—
👉 क्या प्रशासन तभी जागेगा जब किसी बड़े हादसे में किसी की जान चली जाएगी?
👉 क्या सरकारी तंत्र केवल अधिकारियों की सुविधाओं तक सीमित है?
👉 और आखिर टैक्स का पैसा कहाँ खर्च हो रहा है, जब आम जनता को खुद सड़क बनानी पड़ रही है?
गिट्टी डालकर भूल गया PWD विभाग, सड़क पर बना ‘पहाड़’
PWD विभाग की लापरवाही का हाल यह है कि चिंगरौंद–हतखोज मार्ग पर बारिश से पहले गड्ढों को भरने के लिए ट्रक भरकर गिट्टी तो ला दी गई, लेकिन उसे सड़क पर फैलाने की जहमत विभाग ने नहीं उठाई।
चार महीने से बीच सड़क पर पड़ी गिट्टी बारिश के पानी से जमकर अब ‘पहाड़’ बन चुकी है। दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों का गुजरना बेहद मुश्किल हो गया है। गड्ढों में पानी भरने से गहराई का अंदाजा नहीं लगता और वाहनों की दिशा और दशा दोनों बिगड़ जाती है।
ग्रामीणों का सवाल है कि जब गिट्टी लाई गई थी तो उसे बिछाया क्यों नहीं गया? क्या विभाग जनता की जान-माल की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है?
👉 इस पूरी स्थिति ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर जनता के टैक्स से भरे सरकारी खजाने का उपयोग किसके लिए हो रहा है, जब आम लोग खुद श्रमदान कर सड़क दुरुस्त करने और विभाग की लापरवाही झेलने पर मजबूर हैं।
