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नवीन ब्लूप्रिंट आधारित प्रश्न निर्माण पर विकासखंड स्त्रोत समूह का प्रशिक्षण सम्पन्न-उच्च गुणवत्ता वाले प्रश्न–पत्र निर्माण की दिशा में अहम पहल

नवीन ब्लूप्रिंट आधारित प्रश्न निर्माण पर विकासखंड स्त्रोत समूह का प्रशिक्षण सम्पन्न-उच्च गुणवत्ता वाले प्रश्न–पत्र निर्माण की दिशा में अहम पहल

आरंग। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) शंकर नगर में 08 से 12 दिसंबर 2025 तक आयोजित विकासखंड स्त्रोत समूह प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी नवीन ब्लूप्रिंट के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण प्रश्न पत्र निर्माण, ब्लूम टैक्सनॉमी की समझ, एवं शिक्षण शास्त्र की आधुनिक पद्धतियों पर केंद्रित यह प्रशिक्षण शिक्षकों के कौशल उन्नयन के लिए अत्यंत सार्थक सिद्ध हुआ।प्रशिक्षण के दौरान विषयवार ब्लूप्रिंट के आधार पर प्रश्न निर्माण, अध्यायवार भारांक निर्धारण, अधिगम उद्देश्यों की पहचान, तथा स्मरण से लेकर सृजन स्तर तक के ब्लूम टैक्सनॉमी तत्वों को प्रश्न निर्माण में शामिल करने पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई। विशेषज्ञों ने कौशल आधारित, संतुलित एवं पारदर्शी प्रश्न पत्र तैयार करने के तकनीकी पहलुओं पर विशेष जोर दिया।आरंग विकासखंड से विभिन्न विषयों के स्त्रोत समूह प्रशिक्षकों ने सक्रिय सहभागिता दर्ज कराई।भौतिक शास्त्र विषय से महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रीवा के व्याख्याता रवि कुमार वर्मा,मंदिर हसौद स्थित मातृ सदन हायर सेकेंडरी स्कूल से श्रीमती स्मृति सिंह,रसायन शास्त्र से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिलाई की श्रीमती विनीता वर्मा,गणित से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खौली के श्री एम.एल. चंद्राकर,तथा जीव विज्ञान विषय से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लखौली की श्रीमती संगीता यादव ने प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण में भाग लिया।प्रशिक्षण सत्रों का संचालन श्रीमती कुमकुम झा, श्रीमती वेणुका यादव, राम अवतार वर्मा, अनिल काठले तथा श्रीमती श्वेता मिश्रा द्वारा किया गया। विशेषज्ञों ने नवीन प्रश्न निर्माण पद्धति, दक्षता आधारित मूल्यांकन तथा पाठ्यक्रम अनुरूप अधिगम परिणामों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया।कार्यक्रम के अंतिम चरण में प्रतिभागियों ने ब्लूप्रिंट आधारित प्रश्न निर्माण का व्यावहारिक अभ्यास किया, जिससे आगामी परीक्षाओं हेतु वैज्ञानिकता, तर्कसंगतता और गुणवत्ता से परिपूर्ण प्रश्नपत्र तैयार करने का अनुभव मिला।शिक्षकों में 21वीं सदी के कौशल, तर्कपूर्ण सोच एवं उन्नत शिक्षण अधिगम तकनीकों को विकसित करने की दिशा में यह प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
विनोद गुप्ता-आरंग

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