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विशेष-भिलाई गांव के किसान की बिटिया ने किया कमाल-CGPSC में हासिल की 64वां रैंक-आइये जाने उनकी सफलता की कहानी…

विशेष-भिलाई गांव के किसान की बिटिया ने किया कमाल-CGPSC में हासिल की 64वां रैंक-आइये जाने उनकी सफलता की कहानी…

आरंग। खेतों की पगडंडियों से निकलकर बड़े सपनों की उड़ान भरने वाली ग्राम भिलाई की बेटी श्रीलक्ष्मी चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा में 64वां रैंक हासिल कर राज्य कर निरीक्षक के रूप में चयनित होकर गांव सहित पूरे क्षेत्र का मान बढ़ा दिया है। एक बड़े भाई व 2 बहनों में छोटी श्रीलक्ष्मी किसान परिवार से आने वाली इस बेटी की उपलब्धि ने भिलाई गांव में उत्सव का माहौल बना दिया है।श्रीलक्ष्मी बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रही हैं। पिता प्रेमजीत लाल चंद्राकर, जो पेशे से किसान हैं, और माता पुष्पा चंद्राकर, जो गृहणी हैं दोनों के त्याग, प्रोत्साहन और सादगीभरी जीवनशैली ने ही श्रीलक्ष्मी को मजबूत लक्ष्य और बड़ी सोच दी।10वीं में 94% और 12वीं में 91% अंक प्राप्त कर ब्लॉक टॉपर रही। श्रीलक्ष्मी ने हमेशा अपने अनुशासन और मेहनत से खुद को साबित किया है।CGPSC की तैयारी के दौरान पहला प्रयास सफल नहीं हुआ, लेकिन हिम्मत टूटने के बजाय श्रीलक्ष्मी ने और अधिक एकाग्रता और दृढ़ता के साथ तैयारी की। खेतों की मिट्टी से मिली जिजीविषा और संघर्ष की सीख ने दूसरे ही प्रयास में उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया।परिणाम घोषित होते ही भिलाई गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। मिठाइयां बंटी, गांववासियों ने खुशी साझा की और माता-पिता के चेहरे पर गर्व की चमक देखते ही बनती थी।श्रीलक्ष्मी ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, गुरुजनों और गांव की मिट्टी को देते हुए कहा यह उपलब्धि हर उस युवा को समर्पित है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखता है। अगर निष्ठा और मेहनत सच्ची हो तो राह खुद बनती जाती है।खबर छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए श्रीलक्ष्मी चन्द्राकर ने cgpsc की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों को अपनी प्रेरक संदेश देते हुए कहा की परीक्षार्थी मोबाइल, सोशल मीडिया और आसपास की भ्रमित करने वाली चीज़ों से दूरी बनाएं।नियमित रूप से पढ़ाई का समय तय करें, चाहे दिन खराब ही क्यों न हो।मेरा पहला प्रयास असफल रहा था, पर उसी ने मुझे और मजबूत बनाया। रोज़ एक कदम भी आगे बढ़ना बड़ी उपलब्धि की ओर ले जाता है।साधन कम हों तो भी सपने बड़े रखे। जितना अधिक लिखेंगे, उतना बेहतर प्रदर्शन होगा।तनाव पर काबू रखें।किसान परिवार की यह बेटी अब प्रशासनिक सेवा में नई पहचान बनाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने को तैयार है। श्रीलक्ष्मी की उपलब्धि साबित करती है कि सपनों तक पहुंचने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत ही सबसे बड़ा आधार है।
विनोद गुप्ता-आरंग

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