शिक्षकों पर आवारा कुत्तों का बोझ-नए आदेश से भड़का शिक्षक जगत-गैर-शैक्षणिक कार्यों के बढ़ते दबाव पर आई तीखी प्रतिक्रियाएँ

आरंग। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा गुरुवार को जारी आदेश में प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के प्रधान पाठकों तथा हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों के प्राचार्यों को अब अध्ययन-अध्यापन के साथ आवारा कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। निर्देश के अनुसार स्कूल परिसर और आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों की जानकारी शिक्षक संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर नोडल अधिकारी को देंगे।पहले ही जनगणना, मतदाता पुनरीक्षण, चुनाव, स्वास्थ्य सर्वे, शौचालय निर्माण सहित कई गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझे शिक्षक अब नए आदेश से खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे शिक्षा का मुख्य उद्देश्य प्रभावित होगा।शिक्षक संगठनों का कहना है कि पहले ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और पढ़ाई का भार बढ़ा हुआ है। ऐसे में कुत्तों की निगरानी जैसे असंबंधित कार्य सौंपना समझ से परे है।सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष रविन्द्र राठौड़ रायपुर जिला अध्यक्ष लखेश्वर वर्मा वही आरंग इकाई प्रमुख धरम दास पाटिल शिक्षक नेता ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षकों को शिक्षा छोड़ बाकी सब काम दिया जा रहा है। अब कक्षा लेने के साथ कुत्ते पकड़ने की जिम्मेदारी भी? शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी है या शिक्षक शक्ति को मल्टी-टास्किंग बनाना है, सरकार पहले यह स्पष्ट करे।अन्य शिक्षक संगठनो के प्रमुख अनुभवी प्रफुल्ल मांझी सहित जितेंद्र शुक्ला,मनोज मुछावर मुकेश ध्रुव , छोटू राम साहू, हेम कुमार साहू,अलंकार परिहार, संतोष चंद्राकर, महेंद्र कुमार साहू , विमल सोनवानी, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, शिव कुमार खांडे, तिरिथ बांधे, गिरजा शंकर देवांगन, रामकुमार ध्रुव,राज मोहन श्रीवास्तव ,दिनेश कुमार गिलहरे, उदय राम साहू, गिरजाशंकर अग्रवाल, राजकुमार नारंग,अनिलकुमार चतुर्वेदी, विनोद जायसवाल एन के वर्मा सभी ने कहा जनगणना, चुनाव, स्वास्थ्य सर्वे के बाद अब कुत्तों का प्रबंधन… आखिर शिक्षक पढ़ाएँ कब? यह जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की है, इसे स्कूलों पर थोपना अनुचित और अमानवीय है।एक अन्य वरिष्ठ शिक्षक तुलाराम पाल ने सवाल उठाया कि बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, लेकिन आवारा कुत्तों को पकड़वाने की प्रक्रिया हमारे कार्यक्षेत्र का हिस्सा नहीं। यह काम नगर निगम और पंचायत व्यवस्था का है, शिक्षक समुदाय पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है।शिक्षक जगत का मानना है कि इस आदेश पर पुनर्विचार होना चाहिए, ताकि स्कूलों में पढ़ाई का वातावरण और शिक्षकों की मर्यादा दोनों सुरक्षित रहें।
विनोद गुप्ता-आरंग


