सावन विशेष-बाबा बागेश्वर नाथ महादेव-जिसका सूर्य देवता स्वयं अपने किरणों से करते है अभिषेक-आइये जाने इनकी महत्ता….

सावन माह में छत्तीसगढ़ में मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध धर्मनगरी आरंग भगवान शिव की भक्ति में डूब जाता है। यहां के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रहती है. यहां के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर जहाँ भक्तों लगातार ताँता लगा रहता है। यहां पूरे सावन माह के दौरान रोजाना रुद्राभिषेक किया जा रहा है। राजा मोरध्वज की प्राचीन नगरी आरंग छत्तीसगढ़ का एकमात्र शहर ऐसा है जहां हर दिशा में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ का आरंग शिवालियों की नगरी कहा जाता है।
सूर्य अपनी किरणों से करती है बाबा बागेश्वर नाथ जी का अभिषेक..
उत्कृष्ट वास्तु कला को समेटे हुए इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण बाबा बागेश्वर नाथ पर पड़ती है जिससे अत्यंत ही मनोहारी दृश्य उपस्थित हो जाता है ऐसा लगता है मानो सूर्य देव स्वयं भोले नाथ जी अपने किरणों से अभिषेक कर रहे है। भक्तों की माने तो बाबा बागेश्वर नाथ अत्यंत कृपालु हैं तथा भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते है।

यहां उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर रोजाना शिवलिंग का होता है विशेष श्रृंगार..
प्रतिदिन यहां बाबा भोलेनाथ का अद्भुत श्रंगार किया जाता है।विभिन्न प्रकार के फूल, फल आदि से विभिन्न पर्वो के अनुसार अलग स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है। जिसे सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि पूरे देश में लोग मोबाइल के माध्यम से दर्शन करते है।
108 खंभों से निर्मित है ये मंदिर
यह प्राचीन मंदिर 108 खंभों से निर्मित है। इस मंदिर में 24 खंभे गर्भगृह मंडप के लिए है, जो समय को प्रदर्शित करता है. शेष 84 खंभों से मंदिर के चारों ओर चार दीवारी बनाई गई है. यह मंदिर पूर्वाभिमुख है। मंदिर की एक खासियत यह भी है कि भगवान भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती की मूर्ति गर्भगृह में विराजमान हैं।बताया जाता है कि इस मार्ग से जब भी आदिगुरू शंकराचार्य गुजरते हैं भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने अवश्य पहुंचते हैं।

बाल्मीकि रामायण में इस मंदिर का उल्लेख राम वन गमन पथ के रूप में मिलता है
सांस्कृतिक शोध संस्थान व्यास नई दिल्ली के शोध कर्ता डॉ. रामअवतार शर्मा के अनुसार भी श्रीराम जी वनवास के दौरान जिन 249 स्थानों में रुके थे, उनमें से एक आरंग का श्री बागेश्वर नाथ मंदिर भी है, जो उनकी पुस्तक में “जंह जंह राम चरण चलि जाहि” में 98 नंबर पर उल्लेखित है। वनवास के समय भगवान श्री राम ने बाबा बागेश्वर नाथ मंदिर में रुक कर भोलेनाथ की पूजा की थी। एक मान्यता के अनुसार सिरपुर के राजा बाणासुर पहले सुरंग से आकर बागेश्वर नाथ की पूजा करते थे और फिर सिरपुर के गंधेश्वर नाथ महादेव की पूजा करते थे यह भी इस नगरी की महिमा को बताता है।इस कारण यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

आरंग में 107 स्वयम्भू शिवलिंग है विराजमान
प्राचीन काल में आरंग में 107 शिवलिंग थे किसी कारणवश 108 शिवलिंग न होने के कारण इसे काशी का दर्जा नहीं मिल पाया। आज भी बागेश्वर, भुवनेश्वर, वटेश्वर, जलेश्वर, कुमारेश्वर सहित अनेक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग नगर की चारों दिशाओं में विद्यमान हैं. जहां श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. वहीं मोरजध्वज की नगरी के नाम से विख्यात आरंग नगर में सैकड़ों मंदिर होने के कारण छत्तीसगढ़ में मंदिरों की नगरी कहा जाता है. यहां श्रावण में हर शिवालय में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
शुरू हो गया है श्रावणी पूजा महोत्सव
प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी श्रावणी पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया है एवं प्रतिदिन दो रुद्राभिषेक प्रथम सत्र 11 .30 से 2:30 एवं द्वितीय सत्र 3 से 6 बजे तक आयोजित होगा साथ ही 11 अगस्त 2025 दिन सोमवार को सहस्त्र धारा अभिषेक, पूर्णाहुति और हवन प्रसाद वितरण किया जायेगा।
विनोद गुप्ता-आरंग


