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मानसून की बेरुखी और खाद की किल्लत किसानों के लिए बनी चुनौती- समय पर खाद आपूर्ति के लिए शासन प्रशासन पर दबाव बनाने किसान हो रहे है लामबंद

मानसून की बेरुखी और खाद की किल्लत किसानों के लिए बनी चुनौती- समय पर खाद आपूर्ति के लिए शासन प्रशासन पर दबाव बनाने किसान हो रहे है लामबंद

आरंग। मॉनसून की धीमी रफ्तार ने क्षेत्र में खरीफ फसल धान की बुवाई पर असर पड़ने लगा है। एक और जहाँ किसान बारिश के लौटने का इंतजार कर रहे हैं वही DAP खाद की कमी से भी जूझ रहे है।खाद की कमी किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रही है ।किसान लगातार खाद आपूर्ति के लिए शासन प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिए है ताकि समय पर वैकल्पिक खाद उपलब्ध हो सके।01 से 16 जून के बीच आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 25 फीसदी कम बारिश हुई है। इस बार मॉनसून ने 24 मई को पिछले एक दशक में सबसे जल्दी दस्तक दी थी, लेकिन इसके बाद से दो हफ्तों से बारिश सुस्त पड़ी हुई है।इससे गर्मी भी बढ़ गई है।जून से सितंबर तक चलने वाला मॉनसून आमतौर पर 01 जून के आसपास केरल से शुरू होता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है।इसी समय लाखों किसान धान की फसलें बोते हैं. बारिश न होने से बुवाई कर चुके फसलों पर खतरा मंडरा रहा है।बारिश क्षेत्र की खेती के लिए बेहद जरूरी है। कृषि उत्पाद ही देश की जीडीपी का करीब 18 फीसदी हिस्सा बनाती है।इसके अलावा, बारिश पीने के पानी, बिजली उत्पादन और देश के 80 से ज्यादा बड़े जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाती है। 01 जून से 16 जून तक देशभर में बारिश सामान्य से 24 फीसदी कम हुई है ये आंकड़े भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जारी किए हैं. इसका मतलब है कि इस कमी को पूरा करने के लिए अब मॉनसून की रफ्तार तेज होनी जरूरी है।विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी प्री-मॉनसून बारिश और इस बार मॉनसून की जल्दी शुरुआत ने किसानों को समय से पहले बुवाई करने में मदद की थी. लेकिन अब बारिश के रुकने से चिंता बढ़ गई है।
विनोद गुप्ता-आरंग

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