भौतिक युग में जीव के लिए भागवत कथा ही विश्रामस्थल–पं. योगेश(युगल) तिवारी

आरंग। गुप्ता पारा आरंग सोनी परिवार में जारी श्री मद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के अंतर्गत पं. योगेश (युगल) तिवारी जी ने कहा की समग्र मनुष्य जीवन का सबसे महान सत्कर्म श्री मद भागवत कथा का श्रवण व चिंतन है. श्री मद भागवत कथा एक कल्पवृक्ष मोक्षदायिनी है,यह हमे सत्य से परिचय कराता है. इस भौतिक युग में कथा ही जीव के लिए एकमात्र विश्रामस्थल है. हर जीव इस संसार में परीक्षित है,जो अपनी मांँ के गर्भ में निरंतर भगवान का दर्शन पाकर इस संसार में जन्म लेता है, लेकिन वह जन्म लेते ही उस परम सत्ता से अपना सम्बन्ध भुलाकर नश्वर संसार को ही अपना मान लेता हैं. एक दिन हमें भी कालरूपी सर्प डस लेगा,जिस प्रकार राजा परीक्षित को तक्षक सर्प ने डसा. इस बीच उन्हें श्री शुकदेव की कृपा प्राप्त हुई और उन्होने राजा परीक्षित को मोक्ष शास्त्र अर्थात भागवत की कथा सुनाई. महराज जी ने कहा इस संसार में में मृत्यु ही अंतिम सत्य है. भागवत में इसी सत्य से अवगत कराकर, उसके भय से मुक्त कराया जाता हैं. शास्त्रों के अनुसार पूरे संसार में सबसे दुर्लभ तत्व अमृत की भी भगवान के कथामृत से तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि स्वर्ग का अमृत भोग पुण्यों को घटाने वाला होता हैं और कथामृत का सादर सेवन पापों को मिटाकर दुर्लभ मोक्ष पद दिलाने वाला होता हैं. आज की पावन कथा में रास- उत्सव, गोपी- उद्धव प्रसंग, रुक्मणि विवाह की कथा होगी। कथा का आयोजन 7 जून से 15 जून तक प्रतिदिन दोपहर 2:30 बजे से शाम 6:30 बजे के मध्य जारी है।
विनोद गुप्ता-आरंग



