ब्लॉक स्तरीय विश्व ग्लाकोमा सप्ताह एवं जनजागरूकता अभियान-ग्लाकोमा मुक्त विश्व का दिया जा रहा है सन्देश….

आरंग । कलेक्टर डॉ गौरव सिंह एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथलेश चौधरी के निर्देशन व बीएमओ डॉ विजय लक्ष्मी अनंत के मार्गदर्शन मे ब्लॉक स्तरीय विश्व ग्लाकोमा (कांचबिंद ) सप्ताह कार्यक्रम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आरंग मे जनजागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।नेत्र सहायक अधिकारी सालिक नौरंगे ने बताया की यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ मे 9मार्च से 15 मार्च तक जनजागरूकता अभियान के रूप मे मनाया जा रहा है।इस साल का थीम “ग्लाकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट होना ” है।
ग्लाकोमा क्या है ?
नेत्र सहायक अधिकारी रमा भारती झा ने बड़ी संख्या मे उपस्थित मरीजों एवं ग्रामीणों को ग्लाकोमा बीमारी के सम्बन्ध मे विस्तार से जानकारी बताया की आँखों के भीतर “एक्वश ह्युमर ” नाम का द्रव्य स्त्रावित होते रहता है जो आँखों की आकृति को सामान्य बनाए रखता है किसी कारण इस द्रव्य के निकलने का रास्ता अवरुद्ध हो जाए तो आँखों का प्रेशर बढ़ जाता है जिससे पीछे नश व पर्दे दबने से व्यक्ति को हमेशा के लिए दृस्टिहिन बना देता है
लक्षण – सिर व भौहे के आसपास लगातार दर्द बने रहना, पढ़ने का चश्मा जल्दी जल्दी बदलना, चाँद व बल्ब प्रकाश के चारो ओर इंद्रधनुषी घेरे दिखना, दृष्टि का दायरा कम होना,डार्क एडाप्शन टाइम का बढ़ना आदि लक्षण दिखाई देता है
किसे हो सकता है ग्लाकोमा :- समान्यता 40 वर्ष की उम्र के बाद होता है, ब्लड प्रेशर व शुगर की बीमारी हो, जिनकी आँखों मे चोट लगी हो, चश्मे का नंबर अधिक लगा हो, परिवार मे पहले से किसी को ग्लाकोमा हो.
उपचार :-ग्लाकोमा से हुए नुकसान की भरपाई संभव नहीं है किन्तु नियमित जाँच से आँखों की दृष्टि बचाई जा सकती है..
जांच शिविर मे 56 मरीजों का स्क्रीनिंग नेत्र जांच किया गया इस अवसर पर नेत्र सहायक अधिकारी सालिक नौरंगे, नरेश साहू, सविता दीवान, रमा भारती झा, ईश्वर कन्नौजे, अन्नपूर्णा वर्मा, एलएचवी गायत्री गुप्ता, एस. बर्मन, आरएचओ सरोज देवदास, कॉउंसलर चंद्रशेखर राव एवं बड़ी संख्या मे ग्रामीण उपस्थित थे।
विनोद गुप्ता-आरंग

