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हनुमान जन्मोत्सव विशेष-आरंग के कोने कोने में विराजमान है हनुमान जी-यहां स्थापित है हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा

हनुमान जन्मोत्सव विशेष-आरंग के कोने कोने में विराजमान है हनुमान जी-यहां स्थापित है हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा

आरंग। धार्मिक नगरी आरंग हर गली मोहल्लों में स्थापित है बजरंग बली। प्रायः नगर के सभी गली मोहल्ले में बजरंग बली की प्रतिमाएं स्थापित है। वर्षभर श्रद्धालुगण यहां पहुंचकर पूजा-आराधना करते हैं। खासकर प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को भक्तगण यहां पहुंचकर सुंदर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर 12 अप्रेल को यहां जगह-जगह पूजा-अर्चना,भोग भंडारा, हनुमान चालीसा, सुंदर काण्ड पाठ, भजन कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है।इस बार शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव पड़ने से भक्तों में और भी अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है।नगर के चारों दिशाओं में छोटे-बड़े मिलाकर सैकड़ों हनुमान प्रतिमाएं स्थापित है। जिनमें महामाया पारा में विराजमान उत्तरमुखी नारायणबन हनुमान, जगन्नाथ मंदिर में स्थापित दक्षिणमुखी हनुमान, गुप्ता पारा में स्थापित हनुमान, बागेश्वर मंदिर के सामने स्थापित हनुमान, पुराने सब्जी बाजार में स्थित रेणुक देव हनुमान, बरगुडी पारा, बस स्टैण्ड में स्थापित प्राचीन हनुमान प्रतिमाएं प्रमुख हैं।यहां जगह-जगह हनुमान मंदिर स्थापित होने के पीछे लोगों के अपने-अपने तर्क हैं। पहले लोग मंत्र-तंत्र में अधिक विश्वास करते थे। इसलिए हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करने से तांत्रिक शक्ति परेशान नहीं करती ऐसी मान्यता के कारण भी लोग जगह-जगह हनुमान स्थापित करते थे।आरंग में प्रतिवर्ष हनुमान जन्मोत्सव को बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।इस दिन प्रायः सभी हनुमानजी की प्रतिमाओ में लोग सिंदूर का लेप कर चोला चढ़ा कर विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं।
नगर का सबसे बड़ा हनुमान है नारायणबन हनुमान
नगर के महामाया तालाब के किनारे विराजमान उत्तरमुखी नारायणबन हनुमान नगर का सबसे बड़ा हनुमान है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह प्रतिमा नारायणबन तालाब से प्राप्त हुआ है।यह प्रतिमा काफी प्राचीन है। नारायणबन तालाब से प्रकट होने के कारण ही इस प्रतिमा व मंदिर का नाम नारायणबन पड़ा। कहा जाता है लोगों ने पहले इस प्रतिमा को तालाब से निकालकर बैलगाड़ी से अन्य जगह ले जाने का काफी प्रयास किया लेकिन प्रतिमा रखते ही गाड़ी टूट जाता था या कोई न कोई व्यवधान आ जाता था। तब बड़ी मुश्किल से यह प्रतिमा महामाया तालाब के किनारे लाया गया और इस प्रतिमा को यही स्थापित कर दिया गया। यह मंदिर का गर्भगृह पत्थर से निर्मित है जो काफी प्राचीन है। बाद में मंदिर के मण्डपद्वार को जीर्णोद्धार कराया है।यह मंदिर जन आस्था का केंद्र है।
विनोद गुप्ता-आरंग

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