स्कुल में मनाया गया भोजली उत्सव-बच्चों ने जाना भोजली पर्व का महत्व
आरंग।आज मंगलवार को शासकीय नवीन प्राथमिक शाला रसनी में भोजली उत्सव का आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रधान पाठक शीला गुरु गोस्वामी ने प्रकाश डालते हुए कहा कि भोजली मित्रता का आधार और विश्वास का प्रतीक है। जिस तरह युवा पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए फ्रेंडशिप डे मनाते हैं इसी तरह प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ में भोजली का उत्सव मनाया जाता रहा है जो की आधुनिक जीवन शैली में कम नजर आता है उन्होंने बताया कि भोजली देकर मित्रता को प्रगाढ़ करने की परंपरा बहुत पुरानी है तथा बांस से बने छोटे-छोटे टोकरियों में सात प्रकार के अनाज गेहूं, मूंग ,अरहर, तिल, सरसो , जौ, उड़द बोकर तथा हल्दी पानी का सिंचन कर भोजली को राखी भी समर्पित की गई तथा ग्रामवासी महिलाओं की सहायता से भोजली का विसर्जन पास वाले तालाब में किया गया तथा भोजली देकर गिले शिकवे भूलने की इस परंपरा में स्कूली विद्यार्थियों ने एक दूसरे को तथा महिलाओं ने एक दूसरे को और शिक्षिकाओं ने एक दूसरे को भोजली देकर उत्साह से उत्सव को मनाया विद्यार्थियों ने अपने से बड़ों को हाथों में भोजली देकर आशीर्वाद प्राप्त किया वही बहू बेटियों के द्वारा रबी की अच्छी फसल होने की कामना से भूजल देवी से प्रार्थना की गई इसीलिए इसे भोजली पर्व कहा जाता है वास्तव में भोजली को साक्षी मानकर मित्र के हर सुख दुख में कदम से कदम मिलाकर साथ देने का संकल्प भी होता है तथा यह छत्तीसगढ़ की विरासत भी है इस अवसर पर शाला परिवार गिरिजा चंद्राकर, गिरीश गिलहरे, नम्रता सोनी, थामेस्वरी चंद्राकर, एवं स्व सहायता समूह खिलेश्वरी साहू, विमला यादव एवं एसएमसी अध्यक्ष कुलेश्वर साहू, प्रबंधक जगमोहन चंद्राकर,अन्य सदस्यों सहित ग्राम वासियों की सहभागिता रही।
विनोद गुप्ता-आरंग