स्कुल खुलने के 08 दिन बाद भी नही मिला निजी स्कूलों के छात्रो को पुस्तके-स्कैनिंग और बार कोड के चक्कर में फंसे

आरंग।सभी स्कूले 16 जून से शुरू हो चुके है, लेकिन इस साल अभी तक विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। इससे वे खाली बस्ते के साथ स्कूल जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में नई सत्र की किताबें पहुंच गई हैं लेकिन निजी स्कूलों को किताबों का अब भी इंतजार है।इस संदर्भ में चर्चा किये जाने पर BEO दिनेश शर्मा ने बताया कि शासकीय स्कुलो को स्कैनिंग कर उपलब्ध पुस्तको का वितरण किया जा रहा है। परन्तु निजी स्कूलों को अभी वितरण शुरू नही हुआ है। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों के लिए पुस्तके तो स्टाक में है परंतु स्केनिग के लिए बार कोड नही होने से वितरण नही हो पा रहा है। बार कोड की माँग की गई है परंतु अभी तक उपलब्ध नही हो पाया है। आपको बता दे की निशुल्क पुस्तको के अभाव में बच्चो की पढ़ाई शुरू नही हो पाई है। बच्चे रोज किताब मिलने की आस में खाली बस्ता लेकर आते है और वैसे ही लौट जा रहे है। कई स्कुल के प्रधानपाठकों ने बताया पुस्तक नही होने से प्रवेश उत्सव के कार्यक्रम का आयोजन भी नही हो पा रहा है। पुस्तक को लेकर पाठ्यपुस्तक निगम की लेट लतीफी से शिक्षा सत्र को लेकर ही सवाल खड़े हो रहे है।हर साल लगभग 60 लाख विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें मिलती हैं। इसके लिए छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा दो करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जाती हैं। इस साल केवल 55 प्रतिशत किताबें ही संकुलों तक पहुंच पाई हैं। इनका भी वितरण स्कूलों में नहीं हो सका है। वहीं, 20 प्रतिशत किताबों का प्रकाशन अभी पूरा होना बाकी है। इस साल समय पर विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक नहीं मिलने से शिक्षा गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।
विनोद गुप्ता-आरंग


