श्रीमद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह-धुंधकारी का प्रेतयोनि में जाना और उस योनि से उध्दार होना…

आरंग। राजपुरोहित बाड़ा आरंग में श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा के आचार्य पं. ध्रुवनारायण शुक्ला ने कथा महात्म्य का वर्णन सुन्दर ढंग से किया । संगीतमय कथा के अन्तर्गत ज्ञान वैराग्य और भक्ति के कस्ट दूर करने का उपाय बताया। गोकर्ण, धुंधकारी और आत्मदेव ब्राह्मण की कथा व्यास ने सुन्दर ढंग से व्याख्या किया।धुंधकारी का प्रेतयोनि में जानी से उसकी मुक्ति नहीं हुई गोकर्ण महराज ने श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर प्रेत योनि से मुक्त कर दिया। मनुष्य की मुक्ति भागवत कथा से ही सम्भव है।कथारस अमृत है।मुक्ति देने के लिये तो एकमात्र भागवतशास्त्र ही गरज रहा है | जिस घर में नित्यप्रति श्रीमद्भागवत की कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है और जो लोग उसमें रहते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं | हजारों अश्वमेध और सैकड़ों वाजपेय यज्ञ इस शुकशास्त्र की कथा का सोलहवाँ अंश भी नहीं हो सकते | जब तक लोग अच्छी तरह श्रीमद्भागवत का श्रवण नहीं करते, तभी तक उनके शरीर में पाप निवास करते हैं | फल की दृष्टि से इस शुकशास्त्र कथा की समता गङ्गा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग—कोई तीर्थ भी नहीं कर सकता |जो पुरुष अन्तसमय में श्रीमद्भागवत का वाक्य सुन लेता है, उस पर प्रसन्न होकर भगवान् उसे वैकुण्ठधाम देते हैं |सदैव कथा का श्रवन करना चाहिए मन लगाकर कथा सुनना चाहिए’ सर्वस्व त्याग ही मोक्ष का मार्ग है।राधे राधे।
“सदा सेव्या सदा सेव्या श्री भगवती कथा,
यस्याः श्रवण मात्रेन हरिचितं समाश्रयेत॥
विनोद गुप्ता-आरंग



