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श्रीमद् भागवत कथा रसपान से जीवन में आनंद उत्सव और मुक्ति संभव-आचार्य युगल

श्रीमद् भागवत कथा रसपान से जीवन में आनंद उत्सव और मुक्ति संभव-आचार्य युगल

आरंग। श्रीमद्भागवत महापुराण के पंचम दिवस पर आचार्य युगल किशोर शर्मा ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं एवं गोपियों के विशुद्ध प्रेम व दही लूट का सजीव चित्रण करते हुवे कहा की भागवत का मूल संदेश प्रेम है और प्रेम ही ईश्वर है, उन्होंने कहा कि जिसका शरीर तो सुंदर है किंतु हृदय विष से भरा है वही पूतना है, उन्होंने अपनी सुंदर कथा में बताया कि पूतना को देखते ही बाल कन्हैया ने अपनी आंखें बंद कर ली और सोचने लगे कि इसे किस लोक में भेजा जाए आगे उन्होंने कहा कि भगवान श्री रामचंद्र ने भी सुपर्णखा से आंखें नहीं मिलाई थी रामायण की शूर्पणखा और भागवत की पूतना एक ही है, दोनों वासना ही है, उन्होंने गौ हत्या का विरोध करते हुए कहा कि गाय हमारी माता ही है ,गोमूत्र का पान करने से और स्नान करने से शरीर निरोगी होता है यह अनुभव सिद्ध बात है उन्होंने कहा कि गाय का गोबर जहां कृषि भूमि को उपजाऊ बना देता है वही गाय का दूध मानव के तन मन को विकसित करता है अतः इसका संरक्षण नितांत आवश्यक है । आचार्य युगल ने भाव मगन होते हुए यह भी कहा कि जो कन्हैया के शरण में आएगा उसके जीवन में उत्सव होगा क्योंकि कन्हैया आनंदमय पूर्ण परमात्मा है उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा के रहस्य को बताते हुए कहा कि ईश्वर स्वयं कोई क्रिया नहीं करते, वे तो लीला पुरुषोत्तम है, लीला करते हैं और लीला निस्वार्थ होने के कारण आनंदरूप होती है यही क्रिया और लीला में अंतर है। उन्होंने यह भी कहा कि लाभ कमाना धर्म है किंतु लोभ कमाना अधर्म है, उन्होंने कहा कि माधव ने कालिया नाग का केवल दमन किया था उसे नियंत्रित किया था वैसे ही इंद्रियों का नाश नहीं दमन करना है ,इंद्रियों में से विष को निचोड़ लो और सत्संग में लगा दो तो भक्ति के रस से हममें स्वयं आनंद की धाराएं बहाने लगेगी, उन्होंने भक्ति मार्ग को अति उत्तम बताते हुए कहा कि कन्हैया से कोई न कोई नाता जोड़ लो राह आसान हो जाएगी, आगे उन्होंने कहा कि अभिमान कभी अच्छा नहीं होता इंद्र के अभियान को तोड़ने के लिए भगवान ने लीला की और गोवर्धन पर्वत प्रसंग पर कहा की हम प्रकृति की पूजा करे और उसका सरंक्षण आने वाली पीढ़ियों को सरांक्षित करेगा उन्होंने कहा की पशु पक्षी अपना काम नियम से करते है और मानव इसका उल्लंघन करता है आगे उन्होंने कहा कि वृंदावन केदारनाथ तीर्थ धाम जाए पर त्याग और वैराग्य को धारण करके न कि वहां भी भौतिक सुख सुविधाओं की तलाश करें। आचार्य युगल किशोर शर्मा ने महारास का अलौकिक अर्थ बताते हुए गोपी गीत भी गाया जिससे श्रद्धालु गण भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।श्री सार्वजनिक गौरागुड़ी समिति के द्वारा आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पंचम दिवस की कथा संगीत मय भजनों के साथ पूर्ण हुई।
विनोद गुप्ता-आरंग

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