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पेयजल की गुणवत्ता-नगरीय निकायों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी

पेयजल की गुणवत्ता-नगरीय निकायों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी

रायपुर।01 मई 2025. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सभी नगरीय निकायों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने इसके लिए सभी नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को परिपत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। विभाग ने मौसमी बीमारियों एवं दूषित पेयजल से होने वाले रोगों के प्रति सचेत रहते हुए इनके रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने संचालनालय से सभी निकायों को जारी परिपत्र में 15 जून के पहले नलकूप स्त्रोतों को क्लोरीन या सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर शुद्धिकरण करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नगरीय निकायों में स्थापित एवं संचालित वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के फिल्टर बेड का संधारण तथा शहरों की उच्च स्तरीय पानी टंकियों की सफाई का काम 10 जून तक पूर्ण करने को कहा है। विभाग ने जल प्रदाय वाली पानी टंकियों की साल में कम से कम दो बार सफाई कराने के निर्देश दिए हैं। टंकी सफाई की तिथि टंकी के कालम में अंकित करने भी कहा है।नगरीय प्रशासन विभाग ने जल प्रदाय के लिए बिछाई गई पाइपलाइन में लीकेज या टूट-फूट को तत्काल सुधारने को कहा है। विभाग ने सार्वजनिक नलों और हैण्डपम्पों के आसपास पर्याप्त सफाई रखने तथा जन-जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को शुद्ध एवं सुरक्षित पेयजल के उपयोग के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं। निकाय में स्थापित होने वाले नवीन हैण्डपम्पों को भविष्य में संधारण के लिए सूचीबद्ध करने भी कहा गया है। डेंगू व मलेरिया की रोकथाम के लिए खाली जगहों में जमा पानी, कूलर, पानी की टंकी, बर्तन, फ्रिज के ट्रे, टॉयर तथा अन्य वस्तुओं में पानी के जमाव को खाली कर साफ-सुथरा रखने के भी निर्देश विभाग ने नगरीय निकायों को दिए हैं।
सतही स्रोतों पर आधारित जलापूर्ति वाले क्षेत्रों में पेयजल में क्लोरीन की मात्रा की करें जांच
सतही स्त्रोत पर आधारित पेयजल योजनाओं में जल उपचार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में करने के बाद क्लोरीनयुक्त जल शहरों में प्रदाय किया जाता है। सामान्यतः इस प्रकार की व्यवस्था में पानी के दूषित रहने की संभावना नहीं रहती है जब तक कि वितरण प्रणाली में बाहर से गंदा पानी न मिल रहा हो। विभाग ने अभियान चलाकर वितरण प्रणाली के अंतिम छोरों के सभी जल नमूनों की पुनः जांचकर शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। पम्पिंग मेन एवं वितरण प्रणाली के लीकेजों की तत्काल मरम्मत करने के लिए भी निर्देशित किया गया है।
नलकूप से आने वाला पानी दूषित मिलने पर ब्लीचिंग पाउडर या लिक्विड सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर करें जीवाणुरहित
नगरीय प्रशासन विभाग ने नलकूपों पर आधारित पेयजल योजनाओं में नलकूप स्त्रोत, सम्पवेल, उच्च स्तरीय टंकी एवं वितरण प्रणाली के अंतिम छोरों से पेयजल नमूना एकत्र कर हाइड्रोजन सल्फाइड किट के माध्यम से जाँच करने के निर्देश दिए हैं। किसी भी स्तर पर जल का नमूना दूषित पाए जाने पर ब्लीचिंग पाउडर के घोल या लिक्विड सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर जीवाणुरहित करें। जीवाणुरहित करने के एक सप्ताह बाद पुनः उसका परीक्षण करें। जल के नमूने के पुनः दूषित पाये जाने पर विस्तृत जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजें तथा आवश्यक मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर का घोल उच्च स्तरीय टंकी में डालने के बाद ही जलप्रदाय करें। विभाग ने स्थल पर नलकूपों या हैण्डपम्पों के माध्यम से शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए भी इस प्रक्रिया का पालन करने को कहा है।
कोलीफार्म बैक्टीरिया की जांच के लिए तीन स्थानों से लें सैंपल
कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी वाला जल पीने योग्य नहीं होता। इसलिए पेयजल में कोलीफार्म बैक्टीरिया की नियमित जांच जरूरी है। इसके लिए तीन स्थानों से सैंपल लेकर जांच करना चाहिए। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीटमेंट के बाद प्राप्त होने वाले जल का प्रत्येक घंटे में, स्टोरेज टंकियों से प्रतिदिन दो बार और प्रत्येक बस्ती के कम से कम दो-तीन घरों से प्रतिदिन पानी का सैम्पल लेकर कोलीफार्म बैक्टीरिया की जांच की जाना चाहिए। जल के नमूने में कोलीफार्म बैक्टीरिया मिलने पर उस जल स्रोत से पेयजल का प्रदाय तत्काल रोक देना चाहिए। जल सैम्पल की जाँच में कोलीफार्म अनुपस्थित होने पर ही पेयजल का दोबारा प्रदाय प्रारंभ किया जाये। जलापूर्ति प्रभावित होने पर संबंधित क्षेत्र में किसी अन्य प्रकार से जैसे टैंकर इत्यादि से पेयजल पहुँचाये।नगरीय प्रशासन विभाग ने शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने संबंधी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन और नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के निर्देश सभी निकायों को दिए हैं। इसके लिए हर ट्रीटमेंट प्लांट, हर स्टोरेज टंकी तथा हर मलिन बस्ती में रजिस्टर संधारित करने और उसमें पानी का सैम्पल लेने का दिनांक एवं समय, सैम्पल लेने वाले का नाम और सैम्पल में रेसीड्यूवलक्लोरीन की मात्रा तथा कोलीफार्म बैक्टीरिया की उपस्थिति की जाँच का परिणाम अंकित करने को कहा गया है। विभाग ने पेयजल में रेसीड्यूवलक्लोरीन न मिलने या कोलीफार्म बैक्टीरिया मिलने पर तत्काल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसके निराकरण के लिए अवगत कराने को कहा है। नगरीय निकाय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी जगहों पर संधारित रजिस्टरों का निरीक्षण कर हस्ताक्षर भी करना है।
विनोद गुप्ता-आरंग

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