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छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बारिश के अलर्ट से किसानों में बढ़ी चिंता-धान की फसल पर फिर मंडराया खतरा

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बारिश के अलर्ट से किसानों में बढ़ी चिंता-धान की फसल पर फिर मंडराया खतरा

आरंग। छ ग में मानसून की बिदाई के बाद एक बार फिर बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर एरिया (निम्न दबाव क्षेत्र) के प्रभाव से 27 अक्टूबर से पूरे छत्तीसगढ़ में बारिश की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार यह प्रणाली धीरे-धीरे पश्चिम की ओर बढ़ते हुए प्रदेश के अधिकांश इलाकों को प्रभावित करेगी। इस बदलाव से किसानों की चिंता एक बार फिर बढ़ गई है, क्योंकि खेतों में पककर तैयार धान की फसल अब बारिश के कारण गंभीर नुकसान की आशंका में है।मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में बने लो प्रेशर एरिया के सक्रिय होने से 27 से 29 अक्टूबर तक प्रदेश के मध्य व दक्षिणी हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।इससे धान की कटाई रुकी रह सकती है और कट चुकी फसलों में अंकुरण या सड़न का खतरा बढ़ जाएगा।कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि जो खेत कटाई के लिए तैयार हैं, वे जल्द से जल्द फसल काटकर सुरक्षित स्थान पर रख लें और खलिहान को ढकने की व्यवस्था कर लें।इस वर्ष आरंग ब्लॉक के लखौली सहित आसपास के गांवों में भूरा माहो (ब्राउन प्लांट हॉपर्स) का प्रकोप किसानों के लिए पहले ही भारी नुकसान का कारण बना हुआ है।किसानों ने बताया कि प्रति एकड़ हजारों रुपए खर्च कर दवाइयां डालने के बावजूद भी माहो का प्रकोप पूरी तरह थमा नहीं है।गांवों के कई किसानों ने बताया कि इस बीमारी के कारण धान के पौधे झुलसने लगे हैं और उत्पादन में पहले से 30 से 40 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका जताई जा रही है।अब जब धान कटाई का समय चल रहा है, ऐसे में लगातार बारिश ने किसानों की नींद उड़ा दी है।खेतों में पानी भरने से चेन हारवेस्टर मशीनें भी नहीं चल पा रहीं, जिससे फसल कटाई में और देरी हो सकती है।कई किसान पहले ही बढ़े हुए मजदूरी, खाद व दवाई खर्चों के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में बारिश की मार से स्थिति और गंभीर हो सकती है।लखौली निवासी किसान जितेंद्र साहू ने बताया इस साल हमने फसल में भरपूर मेहनत की, लेकिन भूरा माहो के बाद अब बारिश की खबर ने फिर से बेचैन कर दिया है। अगर खेत में पानी भर गया तो आधी फसल खराब हो जाएगी।इसी तरह कुकरा के किसान कृष्णा साहु ने कहा कि हमने हर संभव उपाय किया, लेकिन मौसम अब पूरी तरह फसल पर निर्भर हो गया है। अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो इस बार नुकसान तय है।किसानों नेशासन-प्रशासन से मांग की है कि संभावित बारिश और नुकसान की स्थिति को देखते हुए फसल सर्वे एवं बीमा दावों की तैयारी समय रहते शुरू की जाए ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।
विनोद गुप्ता-आरंग

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