स्कूल बुलीइंग की समस्या और इसके समाधान पर इन्होंने किया शोध पत्र प्रस्तुत….

आरंग। ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवम् ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD), निमोरा रायपुर में एस सी ई आर टी रायपुर द्वारा स्कूल लीडरशिप के संबंध में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार 21 फ़रवरी से आयोजित किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ के शिक्षकों का चयन किया गया जो अपने विद्यालयों में विभिन्न नवाचार करते हुऐ बच्चो की शैक्षिक गुणवत्ता के साथ शालेय पर्यावरण में सार्थक सुधार पर कार्य कर रहे हैं। इसमें आरंग विकासखंड से हरीश कुमार शर्मा, प्राचार्य अरुंधती देवी शास. अंग्रेजी माध्यम विद्यालय का चयन किया गया था । प्राचार्य शर्मा ने स्कूल बुलीइंग को बड़ी समस्या के रूप में बताते हुए यह समझाने का प्रयास किया कि किस तरह से बुलीइंग वाला व्यवहार हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों के सामाजिक दक्षता को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है और इस समस्या को हल करने के लिए लीडरशिप कैसे कारगर सिद्ध हो सकता है । ‘बुलीइंग’ विद्यालय के भीतर एक ऐसा दानव रूपी समस्या है जो पहले से ही विद्यमान है और आज भी लगातार अपने पांव पसार रहा है। इस समस्या के प्रभाव के चलते बच्चों में अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याएं देखने को मिलती हैं । इस समस्या के चरम पर तो कई विद्यार्थी खुदकुशी तक कर लेते हैं या कोई बड़े अपराध के दलदल में भी फंस जाते हैं । इस समस्या का समाधान विद्यालय प्रमुखों के कुशल नेतृत्व क्षमता और शिक्षकों के सार्थक प्रयासों के अंदर निहित है । विद्यालय इसको रोकने के लिए कई कार्यक्रम चला सकते हैं । श्री शर्मा ने बताया कि वे अपने विद्यालय में भी एंटी बुलीइंग कैंपेन चला रहे हैं जिसके चलते कुछ सार्थक परिणाम भी आए हैं । उन्होंने इस पर एक शोधपत्र भी लिखा है जिसे डोंगरगांव (राजनांदगांव) के समीप हायर सेकंडरी विद्यालय, कुमरदा के 80 विद्यार्थियों पर किया गया था। श्री शर्मा ने राष्ट्रीय सेमीनार में ज़मीनी स्तर पर किए गए अपने कार्य का रिचर्स पेपर तैयार कर पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया। जिसकी सराहना करते हुए उपस्थित एक्सपर्ट्स ने इसे एक ज्वलंत और अनछुए समस्या के रूप में प्रचलित बताया। स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी भी इस सेमिनार में उपस्थित थे उन्होंने कहा कि सामुदायिक सहभागिता से स्कूल में निखार आएंगे हम सभी को समुदाय के साथ जुड़कर कार्य करना चाहिए। डॉक्टर सादमा आफजार (एन सी एस एल, नीपा) न्यू दिल्ली एवम् डिप्टी डायरेक्टर एससीईआरटी श्रीमती कामायनी कश्यप ने भी कहा कि इस समस्या पर और अधिक चर्चा करने की आवश्यकता है ताकि सुनियोजित ढंग से इसके समाधान पर कार्य किया जा सके। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ बिहार, झारखण्ड के शिक्षकों ने अपनी प्रस्तुति दी। शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, एस सी ई आर टी के संचालक राजेंद्र कटारा, झारखंड से डी एन सिंह, एम पी से उस्मान सर, सादमा आफजार दिल्ली से, उप संचालक डॉ. कामायनी कश्यप, एमिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पीयूष कांत पांडे, अल्का जी, सचिव- संस्कृत विद्या मंडल, कार्यक्रम समन्वयक डी दर्शन, छत्तीसगढ़ प्रभारी आलोक शर्मा सभी ने सेमीनार की सम्बोधित किया। राष्ट्रीय विद्यालय नेतृत्व केंद्र नई दिल्ली जो राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवम् प्रशासन संस्थान नई दिल्ली के अंर्तगत स्कूल लीडरशीप विकास पर कार्य करती हैं और देश के विद्यालयों द्वारा बेस्ट प्रेक्टिसेस को राष्ट्रीय पटल पर प्रदर्शित करने के लिए अवसर के रूप में प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। विद्यालय प्रमुखों का विद्यालय में गुणात्मक बदलाव लाने की क्षमता संवर्धन के साथ अन्य विकासात्मक कार्य करती है। प्राचार्य हरीश शर्मा ने अपने जिला शिक्षा अधिकारी एवं शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों एवं अपने शाला परिवार के सभी कर्मचारियों को उनके अभूतपूर्व सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
विनोद गुप्ता-आरंग