विशेष-डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) एक नई तरह की साइबर ठगी-आइये जाने इससे बचने के उपाय

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) एक नई तरह की साइबर ठगी (Cyber Fraud) है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर किसी आम नागरिक को डराते हैं कि उसने कोई अपराध किया है (जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स से जुड़ा पार्सल, आदि), और अब उस पर डिजिटल तरीके से निगरानी रखी जा रही है या उसे ‘डिजिटली अरेस्ट’ किया जा रहा है
डिजिटल अरेस्ट ठगी कैसे होती है?
01 कॉल या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क:
ठग खुद को पुलिस अधिकारी, CBI, NCB, RBI, या साइबर सेल का अफसर बताकर कॉल करते हैं।
वे फर्जी पहचान पत्र या लोगो भी दिखा सकते हैं।
- डर का माहौल बनाना:
कहते हैं कि आपका कोई पार्सल जब्त किया गया है जिसमें ड्रग्स, नकली पासपोर्ट, ATM कार्ड, या मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज हैं।
कहते हैं कि आपका आधार या बैंक अकाउंट किसी अपराध में इस्तेमाल हुआ है। - वीडियो कॉल के जरिए “डिजिटल अरेस्ट”:
*कहते हैं कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, आपको *वीडियो कॉल पर रहना होगा* कहीं बाहर नहीं जाना है — यही होता है “डिजिटल अरेस्ट”।
आपको लगातार निगरानी में रखने का नाटक किया जाता है।
04 धोखे से पैसे ट्रांसफर करवाना
कहते हैं कि अगर आप निर्दोष हैं तो जांच के लिए अपना बैंक बैलेंस, UPI या अकाउंट से पैसा ट्रांसफर करें ताकि वे ‘वेरिफाई’ कर सकें।
या कहते हैं कि जुर्माने के रूप में तुरंत पैसे जमा करें, नहीं तो वारंट निकलेगा।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?
01 सरकारी एजेंसियां फोन या वीडियो कॉल पर “अरेस्ट” नहीं करतीं।
02 कोई भी जांच ऑफिसियल ईमेल, नोटिस या थाने में बुलाकर होती है कॉल पर नहीं।
03 किसी को OTP, UPI पिन, बैंक डिटेल या पैसे ट्रांसफर न करें।
04 संदिग्ध कॉल को तुरंत काटें और 1930 या साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करें।*
05 अगर ठग ने वीडियो कॉल करके डरा दिया है, तुरंत अपने घरवालों या पुलिस को बताएं।
शिकायत कैसे करें?
नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल www.cybercrime.gov.in
साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें
अथवा नजदीकी पुलिस स्टेशन साइबर सेल में संपर्क करें
सावधान रहे ,सुरक्षित रहे,


