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नवीन मेला मैदान चौबेबांधा मार्ग से धूल खाते मेला में पहुंच रहे श्रद्धालुगण…इस बार राजिम कुंभ कल्प में सड़कों की आधी अधूरी तैयारी से राहगीर हो रहे परेशान

नवीन मेला मैदान चौबेबांधा मार्ग से धूल खाते मेला में पहुंच रहे श्रद्धालुगण…इस बार राजिम कुंभ कल्प में सड़कों की आधी अधूरी तैयारी से राहगीर हो रहे परेशान

राजिम 5 मार्च। रुकिए…। क्या आप नवीन मेला मैदान राजिम परसवानी चौबेबांधा मार्ग से होकर राजिम कुंभ कल्प मेला जा रहे हैं। संभल जाइए, क्योंकि इस सड़क मार्ग पर धूल का गुबार उठता है सड़क पक्की होते हुए भी कच्ची है। सड़क मार्ग पर हुए गड्ढे में गिट्टी और मुरम डाल दिया गया है। पेंच वर्क के नाम पर राहगीर मुसीबत में फंस रहे हैं। सावधानी के बतौर आंखों में चश्मा, कान में रूई, बाल और पूरे चेहरे पर स्कार्फ बांध लीजिए। वरना धूल आपकी तबीयत खराब कर देगी।जी हां हम बात कर रहे हैं धमतरी जिला को जोड़ने वाले चौबेबांधा पुल से होकर राजिम के अटल चौंक राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी को जोड़ने वाली सड़क की दूरी तकरीबन दो किलोमीटर है। पिछले 20 सालों का इतिहास रहा है जब भी कुंभ मेला और माघी पुन्नी मेला हुआ है तब तब इस सड़क पर डामर बिछाकर चलने योग्य बना दिया जाता था लेकिन इस बार शायद विभाग के खजाने में पैसा की कमी हो गई जिसके चलते गिट्टी और मुरूम डालकर राहगीरों को मुसीबत में डाल दिया गया है। मेले में भीड़ के चलते चार पहिया वाहनों के रूट को परिवर्तित कर दिया गया है। हर बार यही होता भी है। उड़ीसा,गरियाबंद और महासमुंद जिले से राजधानी पहुंचने वाली गाड़ी राजिम परसवानी चौबेबांधा मार्ग से होकर नवागांव, बेलाही पुल को पारकर नवापारा शहर से रायपुर पहुंच रहे हैं। अब चौबेबांधा मार्ग पर चौबीस घंटे गाड़ियों की रेलमपेल लगी हुई हैं। लोडिंग और अनलोडिंग गाड़ियां गिट्टी मुरूम वाली सड़क पर परिवहन कर रहे हैं तो धूल इस कदर उड़ रहा है जिससे लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जानकारी मिली है कि कई लोग धूल के कारण सिर दर्द, आंखों की बीमारी, बाल में धूल जमने के कारण सफेद होना, सर्दी जुकाम,दमा इत्यादि रोग से ग्रसित हो रहे हैं। जानकार बताते हैं कि जर्जर सड़क से उठने वाली धूल भयंकर बीमारी देती है धूल और धुआं अच्छे खासे आदमी को बीमार बना सकती है इसे हल्के में ना ले क्योंकि धूल के कण स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह है। यह नाक के रास्ते से श्वास नली और साइनस में प्रवेश कर जाती है जिससे सूजन आने के कारण नाक में पानी आने लगता है और नाक बंद होने लगती है सांस लेने में तकलीफ होती है ऐसे में यदि कोई विष्णु हमला कर दे तब और भी बुरी हालत हो जाती है। धूल के कण से लोगों को क्रोनिक ब्रोंकाइटिस एलर्जिक साइनुसाइटिस व एलर्जिक राइनाइटिस जैसे रोग हो सकते हैं जो काफी दर्द कारक और गंभीर रूप से घातक साबित होते हैं। यही स्थितियां पिछले 15 दिनों से हो रही है राहगीर दिक्कत में फंसे हुए हैं और संबंधित विभाग के अधिकारी पेंच वर्क का आर्डर मिला है कहकर अपना पल्लू झाड़ दिए हैं। परसों संतोष नाम का एक व्यक्ति इसी मार्ग से होकर सिर्फ आना और जाना किया। दोनों समय गाड़ियां भर्र भर्र करके चली और उनके पूरे कपड़े धूल से सन गया था। बाल में धूल के परत जम गए थे। सड़क पार करते ही इनका सिर दर्द शुरू हो गया। आज भी यह आदमी दर्द के कारण परेशान थे। इसी तरह से राहगीर हेमराज, ब्रह्मानंद, रामकिशन, दिलीप, विनोद, राहुल, महेश ने बताया कि सड़क की जर्जर हालत प्रशासन ने खुद लोडिंग रेत हाईवा चलाकर किया है। तो इसे डामरीकरण करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की बनती है। आम राहगीर परेशान हो रहे हैं। विभाग ध्यान नहीं दे रहा है तो कुंभ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को चिंता जरूर करनी चाहिए थी। शासन और सरकार की उदासीनता से आम जनता मुसीबत में फंसे हुए हैं।

क्या होगा स्कूली छात्र-छात्राओं का

इस सड़क मार्ग से होकर चौबेबांधा, सिंधौरी, बरोंड़ा, श्यामनगर, सुरसाबांधा, तर्रा, कुरूसकेरा,देवरी, नवागांव, बुडेनी, भेंडरी, चंद्रसुर, चंदना जैसे पचासों गांव के गरियाबंद और धमतरी जिले के छात्र-छात्राएं इसी मार्ग से होकर शहर के स्कूल कॉलेज में पढ़ने के लिए साइकिल और बाइक से आना-जाना करते हैं। वह प्रतिदिन धूल स्नान कर रहे हैं। उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इसकी चिंता भी जिला प्रशासन को होनी चाहिए। इसके अलावा इन गांवों के लोग सुबह शाम शहरों में काम करने के लिए आवागमन करते हैं। सब लोग बड़ी मुसीबत में फंसे हुए हैं और इन 2 किलोमीटर सड़क को डामरीकरण करने में प्रशासन की कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही है। इस तरह की स्थिति स्थिति से कब तक गुजरना पड़ेगा यह भी कहा नहीं जा सकता।

कुंभ मेला अभी चार दिन और शेष

कुंभ मेला अभी 4 दिन और शेष अर्थात महाशिवरात्रि इस बार 8 मार्च को हो रही है इसके बाद भी आने वाले एक सप्ताह तक मेला देखने के लिए लोगों की भीड़ बनी रहती है। वर्तमान में प्रतिदिन गरियाबंद और धमतरी जिला से लाखों लोग इस मार्ग से आना-जाना कर रहे हैं। हालांकि धूल को बिठाने के लिए टैंकर से पानी डाला जा रहा है लेकिन यह काफी नहीं है धूप में बड़ी तेजी के साथ सुख जाते हैं और उसके बाद तो धूल ही धूल रास्ते भर दिखाई दे रही है। लगातार गाड़ी चलने से धूल उड़ाने के कारण अंधेरा हो जाता है और लोग दुर्घटना के भी शिकार हो सकते हैं। इस मार्ग में जाने वाले राहगीर शासन प्रशासन को कोसते हुए धूल सनकर आवागमन कर रहे हैं। लोगों ने तो यह भी कह दिया कि कुंभ मेला के लिए सड़कों की आधी अधूरी तैयारी विष्णुदेव सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।

✍️ तुकाराम कंसारी राजिम

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