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नवापारा में गुमास्ता एक्ट की सरेआम उड़ाई जा रही है धज्जियां

नवापारा में गुमास्ता एक्ट की सरेआम उड़ाई जा रही है धज्जियां

नवापारा राजिम। नवापारा नगर एक व्यवसायिक नगरी के नाम से जाना जाता है। रायपुर जिले का ‌यह प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है। नवापारा से आसपास के करीब 70 गांव व्यवसायिक लेन देन के लिए प्रतिदिन पहुंचते हैं। जो कि व्यावसायिक दृष्टि से नगर पर ही निर्भर है। नवापारा में गुमास्ता एक्ट की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। रविवार जबकि नवापारा के लिए पूर्ण रूप से अवकाश का दिन है। अवकाश के दिन भी दुकानें खुली रहती हैं। नहीं गुमास्ता अधिकारी इस ओर ध्यान देते हैं और ना ही नगर पालिका ध्यान देती है। पालिका गुमास्ता एक्ट का नगर में पालन नहीं करा पा रही है। आखिर उनकी कौन सी मजबूरी है..?
इस बारे में सेवानिवृत्त शिक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश चौहान ने इस संवाददाता को बताया कि
आज से तीन साल पहले मैंने गुमास्ता कानून लागू कराने के लिए रायपुर कलेक्टर को पत्र लिखा था। जिसमें वहाँ से एक औपचारिक पत्र मुख्य नगरपालिका अधिकारी को लिखा गया कि शिकायत पर एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही कर कलेक्टर और शिकायतकर्ता को जानकारी दें। लेकिन मुख्य नगरपालिका अधिकारी का एक सप्ताह पता नहीं कितने दिन का होता है। वो सप्ताह आज तक पूरा नहीं हुआ है। मैंने दुबारा कलेक्टर को लिखा। इस बार कलेक्टर कार्यालय ने भी बला टालने का रुख अपनाते हुए समय सीमा का झंझट ही नहीं रखा। सिर्फ इतना लिखा कि कार्यवाही कर कलेक्टर और शिकायतकर्ता को अवगत कराएँ।
जब सीएमओ ने समय सीमा का मान नहीं रखा तो अब क्या गरज पड़ी है कि कुछ करे।मैंने सिर्फ पत्र ही नहीं लिखा, मैं नगरपालिका अध्यक्ष से भी मिला। लेकिन नगर में इस एक्ट को लेकर किसी की दिलचस्पी नहीं है।
असल में गुमास्ता एक्ट निजी संस्थानों और दुकानों मे नौकरी करने वाले कामगारों को साप्ताहिक अवकाश उपलब्ध कराना सुनिश्चित करता है। नवापारा में अधिकांश निजी संस्थान और दुकान हैं जो गुमास्ता एक्ट के पालन का प्रमाण पत्र टाँगकर तो रखे हैं लेकिन अपने कामगारों को कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं देते। महीने में तीसों दिन काम करने पर ही पूरी तन्खवाह देंगे। अन्यथा जितने दिन गैरहाजिर रहोगे उतने दिन का पैसा काट दिया जाता है।

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